Side Effects of Covid-19: बचपन में प्रतिकूल परिस्थितियों का अनुभव करने वालों में कोविड -19 के दुष्प्रभाव ज्यादा रहे
जिन वयस्कों ने बचपन में प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना किया था, उनके कोविड-19 से संक्रमित होने पर मरने या अस्पताल में भर्ती होने की संभावना काफी अधिक थी. यह मेरी टीम के हालिया अध्ययन का मुख्य निष्कर्ष है, जो जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड कम्युनिटी हेल्थ में प्रकाशित हुआ है.
पिट्सबर्ग, 1 दिसंबर : जिन वयस्कों ने बचपन में प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना किया था, उनके कोविड-19 से संक्रमित होने पर मरने या अस्पताल में भर्ती होने की संभावना काफी अधिक थी. यह मेरी टीम के हालिया अध्ययन का मुख्य निष्कर्ष है, जो जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड कम्युनिटी हेल्थ में प्रकाशित हुआ है. यूनाइटेड किंगडम में 150,000 वयस्कों के अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों ने बचपन में बहुत खराब माहौल में रहने की बात की, उनमें कोविड -19 की वजह से मृत्यु की संभावना 25% अधिक थी, साथ ही ऐसे लोगों के कोविड -19 से संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती होने की संख्या 22% अधिक थी. जनसांख्यिकी और स्वास्थ्य स्थितियों को ध्यान में रखने के बाद भी ये आंकड़े बरकरार रहे. बचपन के बुरे हालात में शारीरिक, भावनात्मक या यौन शोषण, उपेक्षा, घरेलू शिथिलता और जिसे कई लोग ‘‘घातक तनाव’’ कहते हैं, शामिल हैं. हमारा अध्ययन यूके बायोबैंक पर निर्भर था, जो पूरे यूनाइटेड किंगडम में 40 से 69 वर्ष की आयु के 500,000 से अधिक स्वयंसेवकों वाला एक बड़ा बायोमेडिकल डेटाबेस है. उनमें से लगभग एक-तिहाई स्वयंसेवकों ने अपने बचपन के बारे में जानकारी प्रदान की. हमारी टीम ने वह डेटा लिया और फिर उन प्रतिभागियों के मेडिकल रिकॉर्ड की खोज की जिनकी मृत्यु कोविड-19 के कारण हुई या जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. हालाँकि अधिक शोध की आवश्यकता है, ये प्रारंभिक परिणाम बचपन के तनाव के स्थायी प्रभावों और आजीवन स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने के लिए मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हैं.
यह क्यों मायने रखती है
नवंबर 2023 तक कोविड-19 ने दुनिया भर में लगभग 70 लाख लोगों की जान ले ली थी. यह महामारी से संबंधित अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु के सभी जोखिम कारकों को समझने के महत्व को रेखांकित करता है. पहले के शोध में उम्र, नस्ल, जातीयता, आय और शिक्षा सहित कोविड-19 के लिए जनसांख्यिकीय जोखिम कारकों की जांच की गई है. लेकिन बचपन के अनुभवों को वयस्कों के कोविड-19 परिणामों से जोड़ने वाला यह पहला अध्ययन है. अध्ययन के आश्चर्यजनक निष्कर्ष बताते हैं कि प्रारंभिक बचपन के बुरे अनुभवों को बीमारी के जोखिम कारकों की सूची में जोड़ा जाना चाहिए - न केवल कोविड -19 के लिए बल्कि शायद अन्य बीमारियों के लिए भी. यह भी पढ़ें : केरल के राज्यपाल का एस बिजॉय नंदन को कन्नूर विश्वविद्यालय का नया कुलपति बनाने का निर्णय
अध्ययन से यह भी पता चलता है कि प्रतिकूल परिस्थितियों और आघात से असमान रूप से प्रभावित समुदाय विशेष रूप से नकारात्मक स्वास्थ्य परिणामों के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं. इसमें वे समुदाय शामिल हैं जहां आसपास हिंसा, तनाव और गरीबी उच्च स्तर पर है. और क्या शोध हो रहा है हमारे शोध को एक समूह द्वारा किए गए काम से प्रेरणा मिली, जिसमें प्रतिकूल बचपन के अनुभवों और वयस्कता में स्वास्थ्य समस्याओं के बीच संबंध पाया गया है. बचपन में गंभीर दुर्व्यवहार का सामना करने वाले वयस्कों में हृदय रोग, फेफड़ों की बीमारी, कैंसर और समय से पहले मौत सहित पुरानी स्थितियों का खतरा बढ़ जाता है. शोधकर्ता अभी भी यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि बचपन की प्रतिकूलता वयस्कता में नकारात्मक स्वास्थ्य परिणामों में कैसे योगदान करती है. यह मुख्यतः जैविक प्रकृति का हो सकता है. उदाहरण के लिए, प्रतिकूलता को अतिरिक्त प्रदाह से जोड़ा गया है. प्रदाह आम तौर पर शरीर की एक सुरक्षात्मक प्रतिक्रिया होती है, जो रोगजनकों, क्षतिग्रस्त कोशिकाओं या विषाक्त पदार्थों जैसे हानिकारक उत्तेजनाओं से उत्पन्न होती है. हालाँकि, अत्यधिक प्रदाह स्ट्रोक, दिल के दौरे और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों से संबंधित है और इससे अधिक नकारात्मक कोविड-19 परिणाम हो सकते हैं.
इसके विपरीत, प्रारंभिक प्रतिकूलता और ख़राब स्वास्थ्य के बीच संबंध व्यवहारिक प्रकृति के हो सकते हैं. प्रतिकूलता एक वयस्क के रूप में कम पैसे या शिक्षा होने से जुड़ी है. ये कारक, बदले में, चिकित्सा देखभाल तक कम पहुंच और निम्न गुणवत्ता से जुड़े हो सकते हैं. अध्ययनों से पता चला है कि कम आय और कम वेतन वाली नौकरियों वाले लोग कार्यस्थल पर अधिक बार कोविड -19 के संपर्क में आए. प्रतिकूलता अवसाद और भावना नियमन की चुनौतियों से भी जुड़ी है. इसके परिणामस्वरूप जीव विज्ञान और व्यवहार में डाउनस्ट्रीम परिवर्तन हो सकते हैं. आगे क्या होगा हमारी टीम बड़ी आबादी के अध्ययन की जांच जारी रखने की योजना बना रही है - यानी, कम से कम 30,000 से 50,000 प्रतिभागियों के साथ- यह निर्धारित करने के लिए कि क्या प्रतिकूल बचपन के अनुभव लंबे समय तक रहने वाले कोविड जैसे अन्य स्वास्थ्य परिणामों से संबंधित हैं. यह स्पष्ट होता जा रहा है कि बचपन का आघात कैसे शरीर में अंतर्निहित हो जाता है, इसके बारे में अधिक जानने से संभावित हस्तक्षेपों और दीर्घकालिक स्वास्थ्य परिणामों के बारे में हमारी समझ में मदद मिल सकती है, जिसमें संभावित रूप से कोविड -19 से जुड़े लोग भी शामिल हैं.