नयी दिल्ली, 29 जुलाई दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह उस याचिका पर सुनवाई करने के लिए इच्छुक नहीं है जिसमें 65 वर्ष से अधिक उम्र के ऐसे कैदियों की आपातकालीन पैरोल बढ़ाने का आग्रह किया गया है जिनके कुछ अन्य बीमारियों एवं चिकित्सा स्थिति के कारण कोविड-19 संक्रमण का शिकार बनने की संभावना है। अदालत ने कहा कि यह मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित है।
मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने यह कहते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया कि ‘‘कैदियों की अंतरिम जमानत, आपातकालीन पैरोल को बढ़ाने से जुड़ा इसी तरह का एक मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है, इसलिए हम इस मामले पर सुनवाई नहीं करना चाहते हैं।’’
अदालत ने याचिकाकर्ता वकील और सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी को छूट दी कि इस तरह की जरूरत पड़ने पर उपयुक्त प्राधिकार से संपर्क करें।
पीठ ने कहा, ‘‘इन तथ्यों को देखते हुए इस वक्त हम इस याचिका पर सुनवाई करने का कोई कारण नहीं पाते हैं।’’
याचिका में अन्य बीमारियों से पीड़ित 65 वर्ष से अधिक उम्र के कैदियों के आत्मसमर्पण को टालने का आग्रह किया गया था और कहा गया था कि कैदियों तथा जेल प्रशासन के हित में बुजुर्ग कैदियों को अन्य सभी कैदियों के बाद आत्मसमर्पण के लिए कहा जा सकता है।
साहनी ने कहा कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के कारण उच्चतम न्यायालय ने कैदियों के आपातकालीन पैरोल को बढ़ा दिया है और उच्चाधिकार प्राप्त समिति की अनुशंसा के आधार पर जिन कैदियों को अंतरिम जमानत दी गई थी उन्हें निर्देश दिया है कि अगले आदेश तक आत्मसमर्पण नहीं करें।
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