Center vs Delhi Service Dispute: न्यायालय का फैसला सरकारों को अपदस्थ करने के अभियान पर एक ‘‘जोरदार तमाचा’’- आप

आम आदमी पार्टी (आप) ने केंद्र-दिल्ली सेवा विवाद पर उच्चतम न्यायालय के फैसले की बृहस्पतिवार को सराहना करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत का यह निर्णय ‘‘असंवैधानिक तरीकों’’ से सरकारों को अपदस्थ करने के अभियान पर एक ‘‘जोरदार तमाचा’’ है.

Supreme Court (Photo Credit- ANI)

नयी दिल्ली, 11 मई: आम आदमी पार्टी (आप) ने केंद्र-दिल्ली सेवा विवाद पर उच्चतम न्यायालय के फैसले की बृहस्पतिवार को सराहना करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत का यह निर्णय ‘‘असंवैधानिक तरीकों’’ से सरकारों को अपदस्थ करने के अभियान पर एक ‘‘जोरदार तमाचा’’ है. मुख्यमंत्री एवं पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस फैसले से दिल्ली के विकास की गति कई गुना बढ़ेगी. उन्होंने ‘‘दिल्ली के लोगों के साथ न्याय करने’’ के लिए उच्चतम न्यायालय को ‘‘हार्दिक धन्यवाद’’ दिया. शीर्ष अदालत के फैसले के बाद केजरीवाल ने अपने कैबिनेट मंत्रियों के साथ एक बैठक की. यह भी पढ़ें: Delhi Govt vs LG: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, दिल्ली सरकार के पास होगा ट्रांसफर और पोस्टिंग की कमान

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को सर्वसम्मति से फैसला सुनाते हुए कहा कि सेवाओं के संबंध में दिल्ली सरकार के पास विधायी तथा शासकीय शक्तियां हैं. ‘आप’ ने इस फैसले का स्वागत करते हुए ट्वीट किया, ‘‘सत्यमेव जयते। दिल्ली सरकार की उच्चतम न्यायालय में बड़ी जीत हुई. चुनी हुई सरकार के पास अधिकारियों के स्थानांतरण-पदस्थापन की शक्ति होगी. अधिकारी निर्वाचित सरकार के माध्यम से ही काम करेंगे.’’

पार्टी ने कहा कि दिल्ली की जनता के काम रोकने के लिए केंद्र द्वारा भेजे गए उपराज्यपाल का अधिकारियों पर कोई नियंत्रण नहीं होगा. ‘आप’ की दिल्ली इकाई के समन्वयक गोपाल राय ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘यह मोदी सरकार और निर्वाचित सरकारों को असंवैधानिक तरीकों से अपदस्थ करने के उनके अभियान पर एक जोरदार तमाचा है। मोदी सरकार ने उपराज्यपाल और गृह मंत्रालय के जरिए दिल्ली सरकार की शक्तियां हड़पने का काम किया है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘मोदी सरकार सरकारों को अस्थिर बनाकर लोकतंत्र को अंधेरे में धकेल रही है।’’

राय ने कहा कि वे ‘‘दिल्ली सरकार के किए काम को पंगु बनाने की मुहिम’’ चला रहे हैं और यह फैसला ‘‘अंधेरे में उम्मीद की किरण’’ है. दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि केजरीवाल पिछले करीब नौ साल से जो लड़ाई लड़ रहे थे, उसमें दिल्ली के लोगों की जीत हुई है. उन्होंने कहा, ‘‘आज, इस लड़ाई ने देश में एक बात स्थापित कर दी है कि केवल एक ही संस्थान है जो कभी भी खतरा पैदा होने पर खड़ा होगा और व्यवस्था को बहाल करेगा. यह संस्थान शीर्ष अदालत है.’’

भारद्वाज ने कहा, ‘‘आज उच्चतम न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। मुझे लगता है कि आज के दौर में दिया गया यह फैसला लंबे समय तक याद रखा जाएगा.’’ उन्होंने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को ‘‘राष्ट्र का नायक’’ करार देते हुए कहा कि दिल्ली के लोग उनके ऋणी हैं. मंत्री ने कहा, ‘‘बचपन में हम जब अमिताभ बच्चन को किसी फिल्म में पुलिस निरीक्षक की भूमिका निभाते देखते थे, तो सोचा करते थे कि हम भी बड़े होकर पुलिसकर्मी बनेंगे. इसी तरह, यदि बच्चे किसी फिल्म में चिकित्सक या वकील को देखेंगे, तो वे उसकी तरह ही बनना चाहेंगे.’’

उन्होंने कहा, ‘‘ देश और न्यायपालिका से जुड़े मामलों की जरा सी भी समझ रखने वाले हर बच्चे के लिए एक ही नायक है और वह हैं- प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़। अब वे बच्चे कहेंगे कि वे बड़े होकर न्यायाधीश बनना चाहते हैं। देश को प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़़ के रूप में एक नायक मिला है.’’

उन्होंने दिल्ली के लोगों की ओर से पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ को भी धन्यवाद दिया.

भारद्वाज ने कहा, ‘‘हम उनके सामने सिर झुकाते हैं. उन्हें (दिल्ली के लोगों को) उनका अधिकार मिला है और यह केंद्र को एक जोरदार तमाचा है.’’दिल्ली की मंत्री आतिशी ने कहा कि इस फैसले ने ‘‘देश के संविधान और लोकतंत्र की रक्षा’’ की है. उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री किसी और पार्टी की जीत को बर्दाश्त नहीं कर सकते। जब कभी भाजपा की हार होती है, वे असंवैधानिक रूप से ‘‘ऑपरेशन कमल’’ चलाते हैं और वहां विधायकों को अपनी पार्टी में मिलाने की कोशिश करते हैं. वे जब ‘आप’ सरकार को इन तरीकों से गिरा नहीं पाए, तो उन्होंने उसकी शक्तियां छीनने की कोशिश कीं.’’

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने साफ फैसला दिया है कि लोगों की चुनी सरकार को उनके लिए फैसले करने का अधिकार है. आतिशी ने कहा, ‘‘जब लोगों ने केजरीवाल को चुना है, तो वही दिल्ली के लोगों की ओर से फैसला करेंगे। उच्चतम न्यायालय को धन्यवाद. उसने केवल एक फैसला नहीं सुनाया है, बल्कि देश के लोकतंत्र और संविधान की भी रक्षा की है.’’

भारद्वाज ने फैसले का मतलब विस्तार से बताते हुए कहा कि पहले सभी अधिकारी उपराज्यपाल के जरिए केंद्र को रिपोर्ट करते थे. उन्होंने कहा, ‘‘यदि कोई अधिकारी अयोग्य था, तो उसे किसी अन्य विभाग में स्थानांतरित करने या नियंत्रित करने का कोई तरीका नहीं था, लेकिन अब इस फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कार्यकारी शक्तियां और विधायी शक्तियां सरकार के पास हैं। यह दोहराया गया है कि उपराज्यपाल पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि के अलावा अन्य क्षेत्रों में सरकार की सहायता और सलाह से बंधे हैं.’’

यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार अब मुख्यमंत्री के आवास से संबंधित कागजात उपराज्यपाल के साथ साझा करने से इनकार कर सकती है, उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि इसे मुख्यमंत्री आवास या उपराज्यपाल के आवास के संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिए. यह सिद्धांतों का मामला है और हम सिद्धांतों के अनुसार काम करेंगे.’’

आतिशी ने कहा कि उपराज्यपाल केवल कागजात देख सकते हैं लेकिन उन्हें उन पर निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है. ‘आप’ नेता और राज्यसभा के सदस्य राघव चड्ढा ने इस फैसले को ‘‘ऐतिहासिक निर्णय’’ बताया और कहा कि यह एक कड़ा संदेश देता है.

चड्ढा ने ट्वीट किया, ‘‘सत्यमेव जयते। दिल्ली की जीत हुई. माननीय उच्चतम न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय यह कड़ा संदेश भेजता है कि दिल्ली सरकार के साथ काम कर रहे अधिकारियों की जिम्मेदारी शासन व्यवस्था को बाधित करने के लिए केंद्र द्वारा भेजे गए गैर निर्वाचित अनधिकृत व्यक्तियों यानी उपराज्यपाल के बजाय, निर्वाचित सरकार के माध्यम से दिल्ली के लोगों की सेवा करना है.’’

आतिशी ने भी इस फैसले को ‘‘ऐतिहासिक’’ बताया और ट्वीट किया, ‘‘सत्यमेव जयते. वर्षों की लड़ाई के बाद, उच्चतम न्यायालय ने अरविंद केजरीवाल सरकार को उसका हक दिलाया है. दिल्ली की जनता के काम में अब कोई अड़ंगा नहीं लगा पाएगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह ऐतिहासिक निर्णय दिल्ली की जनता की जीत है। अब दिल्ली दुगनी गति से तरक्की करेगी. सबको बधाई.’’

सेवाओं पर अधिकार के मुद्दे पर केंद्र बनाम दिल्ली सरकार के मामले की सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने कहा कि निर्वाचित सरकार का प्रशासन पर नियंत्रण जरूरी है. उसने न्यायाधीश अशोक भूषण के 2019 के फैसले से असहमति जतायी कि शहर की सरकार का सेवाओं के मामले पर कोई अधिकार नहीं है.

गौरतलब है कि दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार की विधायी और शासकीय शक्तियों से जुड़े कानूनी मुद्दे की सुनवाई के लिए संविधान पीठ का गठन किया गया था.

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