देश की खबरें | महिलाओं की रक्षा के लिए अदालतों को भगवान श्रीकृष्ण की तरह काम करना चाहिए : कर्नाटक उच्च न्यायालय
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

बेंगलुरु, 11 सितंबर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा है कि अदालतों को महिलाओं की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण की तरह काम करना चाहिए ।

न्यायमूर्ति बी वीरप्पा और न्यायमूर्ति ई एस इंद्रेश की पीठ ने 2013 में 69 वर्षीय महिला से दुष्कर्म के दोषी द्वारा दाखिल अपील को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की ।

यह भी पढ़े | Bihar Assembly Elections 2020: केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने किया NDA की जीत का दावा, कहा- 220 सीटें जीतकर नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में बनेगी सरकार.

पीठ ने कहा कि अदालत पीढ़ी दर पीढ़ी महिलाओं के खिलाफ होने वाले अन्याय पर मूकदर्शक बनी हुई नहीं रह सकती।

पीठ ने कहा, ‘‘समय आ गया है कि अदालत को अभिभावक की तरह काम करना चाहिए और महिलाओं की रक्षा करते हुए धर्म की रक्षा करनी चाहिए, जैसा कि देश के संविधान के अनुच्छेद 21 में कहा गया है और दुष्कर्मियों समेत सभी दोषियों के साथ कड़ाई से पेश आना चाहिए। ’’

यह भी पढ़े | Coronavirus in Maharashtra: महाराष्ट्र में COVID-19 के मरीजों की संख्या 10 लाख के पार हुई, 28,724 लोगों की मौत.

भगवद् गीता के दो श्लोकों का संदर्भ देते हुए पीठ ने आठ सितंबर के अपने आदेश में कहा कि महाभारत के भगवान श्रीकृष्ण ने जिस तरह धर्म की रक्षा की, अदालत को उसी तरह काम करना चाहिए।

पीठ दोषी की अपील पर सुनवाई कर रही थी। उसने दक्षिण कन्नड़ की एक जिला अदालत द्वारा 14 नवंबर 2014 को सुनाए गए फैसले को चुनौती दी थी ।

याचिकाकर्ता को महिला से दुष्कर्म करने और 55,000 रुपये लूटपाट करने का दोषी ठहराया गया था।

दोषी के वकील ने जिला अदालत के फैसले को यह कहते हुए खारिज करने का अनुरोध किया कि अपराध में उसकी संलिप्तता को लेकर सबूत नहीं हैं ।

हालांकि, पीठ ने निचली अदालत द्वारा सुनायी गयी सात साल की कठोर सजा को बरकरार रखा और उसकी अपील खारिज कर दी।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)