न्यायालय ने प्राथमिक, पैरा शिक्षकों की नियुक्ति के हिमाचल सरकार के फैसले को बरकरार रखा
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नयी दिल्ली, 17 अप्रैल उच्चतम न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश में शिक्षकों की नियुक्ति और उन्हें नियमित किए जाने के फैसले को बरकरार रखते हए शुक्रवार को कहा कि ऐसा विभिन्न योजनाओं के तहत किया गया है और उन्हें गैरकानूनी नहीं कहा जा सकता।

न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया जिसमें अदालत ने प्राथमिक सहायक शिक्षक (पीएटी) योजना, पैरा शिक्षक नीति और अन्य योजनाओं के तहत शिक्षकों की नियुक्तियों को दी गयी चुनौतियों को खारिज कर दिया था।

न्यायमूर्ति एम.एम. शांतनगौडर और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने राज्य में शिक्षकों की नियुक्ति से जुड़ी सभी योजनाओं पर गौर किया। पीठ ने पेश की गई सामग्री का भी उल्लेख किया और कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं बनता है।

पीठ ने कहा कि शिक्षकों से संबंधित जिन योजनाओं पर सवाल किए गए, वे 2001 और 2003 में अधिसूचित किए गए थे। वहीं नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिकाएं 2012-13 में दायर की गई थीं।

पीठ ने याचिका दायर किए जाने में 10 साल से अधिक की देरी होने का भी उल्लेख किया।

पीठ ने कहा कि इन योजनाओं के तहत नियुक्त लोगों ने करीब 15 साल की सेवा पूरी कर ली है और पेशेवर योग्यता भी हासिल कर ली है तो उन्हें इस समय नियमित होने से नहीं रोका जा सकता।

पीठ ने कहा कि सरकार द्वारा अधिसूचित योजनाओं के अनुसार नियुक्तियां की गई थीं। इसलिए ऐसी नियुक्तियों को अवैध नहीं माना जा सकता है।

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