नयी दिल्ली, 16 जुलाई उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह देश भर की जेलों में उसके जमानत आदेशों के सुरक्षित डिजिटल संप्रेषण के लिए एक प्रणाली लागू करेगा क्योंकि जामनत देने के बावजूद, अधिकारी कैदियों की रिहाई के लिए प्रमाणिक आदेशों का इंतजार करते हैं।
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अगुवाई वाली पीठ ने शीर्ष अदालत के महासचिव को इस योजना पर एक प्रस्ताव पेश करने का निर्देश दिया और कहा कि यह एक महीने के अंदर लागू हो जाना चाहिए।
न्यायालय ने राज्यों से जेलों में इंटरनेट कनेक्शन की उपलब्धता पर जवाब मांगा क्योंकि इसके बिना जमानत पर आदेशों का प्रसार संभव नहीं है।
पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे को योजना को लागू करने में मदद करने के लिए न्यायमित्र भी नियुक्त किया।
शीर्ष अदालत ने 13 जुलाई को उत्तर प्रदेश के अधिकारियों की ओर से उन 13 कैदियों की रिहाई में देरी का संज्ञान लिया था जिन्हें आठ जुलाई को जमानत दी गई थी।
अपराध के वक्त किशोर रहे दोषी, हत्या के एक मामले में 14 से 22 साल की कैद की सजा में आगरा के केंद्रीय कारागार में बंद थे।
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