नयी दिल्ली, 15 मार्च उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन की ‘‘सनातन धर्म के उन्मूलन’’ संबंधी टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ विभिन्न राज्यों में दर्ज प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने के अनुरोध वाली याचिका पर अप्रैल में सुनवाई करेगा।
उदयनिधि की याचिका पर न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि इस पर एक अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह में सुनवाई की जाएगी।
चार मार्च को याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने उदयनिधि की टिप्पणी को लेकर अप्रसन्नता जताते हुए सवाल किया था कि बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का दुरुपयोग करने के बाद उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने के लिए अदालत का रुख क्यों किया है।
शीर्ष अदालत ने उदयनिधि से कहा था कि मंत्री होने के नाते उन्हें बयान देते समय सावधानी बरतनी चाहिए थी और उनके संभावित परिणामों के प्रति सचेत रहना चाहिए था।
तमिलनाडु के युवा कल्याण और खेल मंत्री उदयनिधि, मुख्यमंत्री और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) प्रमुख एम के स्टालिन के पुत्र हैं। सितंबर 2023 में एक सम्मेलन में उदयनिधि ने कहा था कि सनातन धर्म सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है और इसे जड़ से उखाड़ फेंकना चाहिए। सनातन धर्म की तुलना कोरोना वायरस, मलेरिया और डेंगू से करते हुए उन्होंने कहा कि इसे मिटा देना चाहिए।
पत्रकार अर्नब गोस्वामी, भाजपा नेता नूपुर शर्मा और कुछ अन्य लोगों से जुड़े मामलों में शीर्ष अदालत के आदेशों का हवाला देते हुए उदयनिधि की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने पीठ को बताया था कि इन सभी में शीर्ष अदालत प्राथमिकियों को जोड़ने पर सहमत हुई थी।
सिंघवी ने चार मार्च को सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत से कहा था, ‘‘मैं (मामले के) गुण-दोष पर एक शब्द भी नहीं कह रहा हूं, मैं इसे उचित नहीं ठहरा रहा हूं या आलोचना नहीं कर रहा हूं। प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने की याचिका से मामले के गुण-दोष पर फर्क नहीं पड़ेगा।’’
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