नयी दिल्ली, तीन दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने झारखंड की राजधानी रांची में 19 वर्षीय इंजीनियरिंग की छात्रा से बलात्कार और उसकी हत्या किए जाने के मामले में दोषी ठहराए गए 30 वर्षीय व्यक्ति को सुनाई गई मौत की सजा पर मंगलवार को रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने राहुल कुमार को दोषी ठहराने और मृत्युदंड की सजा सुनाने वाले निचली अदालत की अनुवादित प्रतियां और उच्च न्यायालय के रिकॉर्ड तलब किये।
पीठ ने कहा, ‘‘मृत्युदंड की तामील पर रोक रहेगी। रजिस्ट्री ऑनलाइन प्रति के अलावा निचली अदालत और उच्च न्यायालय से रिकॉर्ड की प्रति हासिल करे।’’
झारखंड उच्च न्यायालय ने बिहार के नवादा जिले के रहने वाले राहुल कुमार उर्फ राहुल राज को निचली अदालत द्वारा दी गई मौत की सजा की नौ सितंबर को पुष्टि की थी।
कुमार ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया, जिसने परंपरा के अनुसार मृत्युदंड याचिका की सुनवाई के पहले दिन मृत्युदंड की तामील पर रोक लगा दी तथा निचली अदालतों से रिकॉर्ड तलब किया।
युवती की 15 दिसंबर 2016 को हत्या कर दी गई थी। छात्रा से दुष्कर्म के बाद उसकी गला घोंट कर हत्या कर दी गई थी और शव को आग के हवाले कर दिया गया था। दिसंबर 2019 में निचली अदालत ने कुमार को मौत की सजा सुनाई थी।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था, ‘‘इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने वाली 19 वर्षीय एक प्रतिभाशाली युवती की हत्या अत्यंत बर्बर तरीके से की गई... यह बात पीड़िता के शव का पोस्टमार्टम करने के लिए गठित मेडिकल बोर्ड में शामिल चिकित्सकों द्वारा प्रस्तुत विधिवत प्रमाणित पोस्टमार्टम रिपोर्ट से साबित होती है।’’
उच्च न्यायालय ने अपीलकर्ता द्वारा किए गए अपराध को ‘घृणित कृत्य’ करार देते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत निचली अदालत द्वारा दी गई मृत्युदंड की सजा को बरकरार रखा था।
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