देश की खबरें | भूमि अधिग्रहण के बाद ग्रामीणों को भुगतान नहीं करने पर महाराष्ट्र के अधिकारियों को न्यायालय की फटकार

नयी दिल्ली, छह जनवरी उच्चतम न्यायालय ने राज्य प्राधिकारियों द्वारा ग्रामीणों की जमीन का अधिग्रहण करने के बावजूद उन्हें मुआवजा नहीं देने के एक मामले में, सोमवार को महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों को 31 जनवरी तक धनराशि वितरित करने या अवमानना ​​कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहने को कहा।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटेश्वर सिंह की पीठ 2005 में कर्मचारी गारंटी योजना के तहत पानी की टंकी के निर्माण के लिए महाराष्ट्र के बीड जिले के जंभालखोरी बोरफाडी के ग्रामीणों से अधिग्रहित भूमि से जुड़े मामले की सुनवाई कर रहे हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘यह एक ‘क्लासिक’ मामला है जहां महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों ने उन लोगों को मुआवजा देने से इनकार कर दिया जिनकी भूमि अनिवार्य रूप से अधिग्रहित की गई थी।’’

अदालत ने कहा कि रिकार्ड में लाया गया कि 1.49 करोड़ रुपये से अधिक के भुगतान के आदेश को अंतिम रूप देने के बावजूद पीड़ित ग्रामीणों को मुआवजा नहीं दिया गया।

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘इस मामले में राज्य के अधिकारियों ने जिस तरह से आचरण किया है उसे देखकर हम बहुत निराश हैं।’’

पीठ के निर्देश के अनुसार, उच्च न्यायालय में अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के साथ 31 जनवरी तक भूमि मालिकों और अन्य लोगों को उचित भुगतान करना होगा।

पीठ ने बीड जिले के कलेक्टर को नोडल अधिकारी के रूप में कार्य करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि ग्रामीणों को उनका मुआवजा मिले।

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