नयी दिल्ली, 10 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने ऋण धोखाधड़ी मामले में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सह प्रबंध निदेशक (एमडी) चंदा कोचर और उनके व्यवसायी पति दीपक कोचर को इस साल जनवरी में दी गई दो सप्ताह की अंतरिम जमानत को बार-बार बढ़ाने पर आपत्ति नहीं जताने पर मंगलवार को सीबीआई से सवाल किया।
न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू से पूछा कि जांच एजेंसी ने 9 जनवरी को बंबई उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें दी गई अंतरिम जमानत के बार-बार विस्तार का विरोध क्यों नहीं किया।
पीठ ने कहा, ‘‘यह आदेश 9 जनवरी का है और अंतरिम जमानत सिर्फ दो हफ्ते के लिए दी गई थी। आपने विरोध क्यों नहीं किया? आप इसे इतनी लंबी अवधि तक जारी रखने की अनुमति क्यों दे रहे हैं? हमारे अनुसार, यह याचिका निरर्थक हो गई है क्योंकि उक्त आदेश केवल दो सप्ताह के लिए था। आपको वहां (उच्च न्यायालय में) आपत्ति दर्ज करनी चाहिए थी''।
न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने राजू से उच्च न्यायालय में सुनवाई की अगली तारीख के बारे में पूछा। वकील ने न्यायाधीश को बताया कि अभी तक किसी नई तारीख की घोषणा नहीं की गई है।
न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने कहा, ‘‘आपको उच्च न्यायालय में जाना चाहिए।’’ इस पर राजू ने उनसे कहा कि वह बंबई में अपने समकक्ष से उच्च न्यायालय में जाने को कहेंगे।
पीठ ने उच्च न्यायालय के नौ जनवरी के आदेश को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर सुनवाई 16 अक्टूबर को निर्धारित कर दी और राजू से निर्देश लेने को कहा कि क्या किया जाना चाहिए।
सीबीआई ने चंदा कोचर और उनके पति को वीडियोकॉन-आईसीआईसीआई बैंक कर्ज धोखाधड़ी मामले के सिलसिले में 23 दिसंबर 2022 को गिरफ्तार किया था।
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