नयी दिल्ली, चार जून उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश और बिहार से उस याचिका पर जवाब देने को कहा है जिसमें आरोप लगाया गया है कि इन दोनों राज्यों में ईंट भट्ठों में काम कर रहे बंधुआ मजदूरी के पीड़ित 187 लोगों की मदद के लिए संबंधित अधिकारियों ने त्वरित कार्रवाई नहीं की।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें गर्भवती महिलाओं और बच्चों समेत पीड़ितों को तत्काल छोड़े जाने और उनके पुनर्वास की मांग की गयी है। इन लोगों को कथित रूप से इन राज्यों में तीन अलग-अलग ईंट भट्ठों पर रखा गया है।
शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश में संभल और बिहार में रोहतास के जिला मजिस्ट्रेटों को निर्देश दिया कि ईंट भट्ठों में काम कर रहे 187 बंधुआ मजदूरों को छोड़ने में उनके द्वारा की गयी कार्रवाई के संबंध में रिपोर्ट जमा की जाए जिनका ब्योरा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के आदेश में दिया गया है।
याचिका में कहा गया कि इस साल 11 मई को एनएचआरसी ने इस मुद्दे पर दाखिल शिकायतों पर संज्ञान लिया था और संभल तथा रोहतास के जिला प्रशासन को निर्देश दिया था कि मौके पर जांच के लिए अधिकारियों का दल नियुक्त किया जाए तथा 15 दिन के भीतर कार्रवाई संबंधी रिपोर्ट जमा की जाए।
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पीठ में न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट भी शामिल हैं। पीठ ने दोनों जिलाधिकारियों को निर्देश दिया कि एनएचआरसी द्वारा जारी निर्देशों के अनुरूप उनके द्वारा की गयी कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट अगली सुनवाई से पहले दाखिल की जाए।
शीर्ष अदालत ने अगली सुनवाई के लिए नौ जून की तारीख तय की।
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