नयी दिल्ली, 14 सितंबर: उच्चतम न्यायालय ने मामले की सुनवाई स्थगित करने के अनुरोध को लेकर अपने स्थान पर एक कनिष्ठ वकील को बिना किसी तैयारी के अदालत भेजने के लिए एक ‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड’ पर दो हजार रुपये का जुर्माना लगाया. ‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड’ एक अधिवक्ता होता है जो मुवक्किलों का प्रतिनिधित्व करने और उच्चतम न्यायालय में मामले दायर करने के लिए अधिकृत है. प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की और एक कनिष्ठ वकील पीठ के सामने पेश हुआ और मामले की सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया क्योंकि मुख्य वकील उपलब्ध नहीं थे।
पीठ में न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे.
पीठ ने कहा, ‘‘आप हमें इस तरह हल्के में नहीं ले सकते। न्यायालय के कामकाज में ढांचागत लागतें शामिल हैं। बहस करना शुरू करें.’’ कनिष्ठ वकील ने पीठ से कहा कि उन्हें मामले के बारे में जानकारी नहीं है और इस मामले पर बहस करने के लिए उनके पास कोई निर्देश नहीं है. पीठ ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा, ‘‘हमें संविधान से मामले की सुनवाई के निर्देश मिले हैं. कृपया ‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड’ को बुलाएं। उन्हें हमारे सामने पेश होने के लिए कहें.’’
बाद में, ‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड’ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश हुए और उच्चतम न्यायालय से माफी मांगी.पीठ ने उनसे पूछा कि उन्होंने किसी कागजात और मामले की जानकारी के बिना एक कनिष्ठ वकील को अदालत में क्यों भेजा. पीठ ने तब अपने आदेश में कहा, ‘‘एक कनिष्ठ वकील को बिना तैयारी के भेजा गया. जब हमने स्थगन देने से इनकार कर दिया, तो ‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड’ उपस्थित हुए। मामले को इस तरीके से संचालित नहीं किया जा सकता है.’’ पीठ ने कहा, ‘‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पास दो हजार रुपये का जुर्माना जमा करना होगा और इसकी रसीद पेश करनी होगी.’’
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