नयी दिल्ली, 15 नवंबर : उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से उस प्रावधान के पीछे का औचित्य बताने को कहा है, जिसके तहत केवल उन्हीं महिलाओं को मातृत्व अवकाश का लाभ लेने का अधिकार है, जिन्होंने तीन महीने से कम उम्र के बच्चे को गोद लिया है. न्यायालय मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के एक प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसके अनुसार केवल वही महिलाएं 12 सप्ताह की अवधि के लिए मातृत्व अवकाश का लाभ लेने की हकदार हैं, जो तीन महीने से कम उम्र के बच्चे को गोद ले रही हों.
पीठ ने अपने 12 नवंबर के आदेश में कहा, “दूसरे शब्दों में, यदि कोई महिला तीन महीने से अधिक उम्र के बच्चे को गोद लेती है, तो वह संशोधन अधिनियम के तहत प्रदान किए गए किसी भी मातृत्व अवकाश लाभ की हकदार नहीं होगी.” पीठ ने कहा कि केंद्र ने तीन महीने की उम्र निर्धारित करने को उचित ठहराते हुए अपना जवाब दाखिल किया है, लेकिन सुनवाई के दौरान कई मुद्दे सामने आए हैं जिन पर विचार करने की आवश्यकता है. न्यायालय ने कहा, “ऐसी परिस्थितियों में, हम भारत संघ से अपेक्षा करते हैं कि वह आज चर्चा किए गए मुद्दे पर एक और जवाब दाखिल करे, विशेष रूप से, यह कहने का क्या औचित्य है कि केवल वही महिला मातृत्व अवकाश लाभ लेने की हकदार होगी जो तीन महीने से कम उम्र के बच्चे को गोद लेती है अन्यथा नहीं?” यह भी पढ़ें : Delhi Air Pollution: CM आतिशी ने यातायात कम करने के लिए सरकारी कार्यालयों के लिए अलग-अलग समय तय किए
न्यायालय ने कहा कि जवाब तीन सप्ताह के भीतर दाखिल किया जाए. पीठ ने कहा कि दाखिल किए जाने वाले उत्तर की एक प्रति याचिकाकर्ता के वकील को पहले ही दे दी जाए और यदि कोई प्रत्युत्तर हो तो उसे एक सप्ताह के भीतर दाखिल कर दिया जाए. पीठ ने मामले को अंतिम रूप से निपटाने के लिए 17 दिसंबर की तारीख तय की.