नयी दिल्ली, 16 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने आईपीएल’ के पूर्व प्रमुख ललित मोदी और उनकी मां तथा उद्योगपति के के मोदी की पत्नी बीना मोदी के बीच लंबे समय से चल रहे संपत्ति विवाद को सुलझाने के लिए बृहस्पतिवार को शीर्ष अदालत के दो सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को मध्यस्थ नियुक्त किया।
शीर्ष अदालत दिल्ली उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ के उस फैसले के खिलाफ ललित मोदी की अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कहा गया था कि बीना मोदी की अपने बेटे के खिलाफ दायर मध्यस्थता विरोधी रोक याचिका विचार करने योग्य है।
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीशों न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ के नामों को मध्यस्थ के रूप में मंजूरी दी।
पीठ ने कहा, "अंतत: दोनों पक्ष न्यायाधीश विक्रमजीत सेन और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ के तहत मध्यस्थता के लिए सहमत हो गए हैं। हमारा सुझाव है कि दोनों पक्ष हैदराबाद में मध्यस्थता केंद्र की सुविधाओं का उपयोग करें। वे ऑनलाइन मध्यस्थता के लिए अनुरोध कर सकते हैं।’’
पीठ ने कहा, "हम पक्षों को गोपनीयता कायम रखने का निर्देश देते हैं, और मध्यस्थों से यह आश्वासन लेने का अनुरोध करते हैं कि इस कार्यवाही में तीन महीने की अवधि के अंदर तेजी लाएं।’’
इससे पहले, बीना मोदी ने याचिका दायर की थी। याचिका में विवाद को लेकर इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के संस्थापक ललित मोदी द्वारा सिंगापुर में शुरू की गई मध्यस्थता कार्यवाही पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था।
उच्चतम न्यायालय ने पहले पक्षों को मध्यस्थता का सुझाव दिया था और उनसे अपनी पसंद के मध्यस्थों के नाम देने को कहा था।
उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने पिछले साल दिसंबर में माना था कि सिंगापुर में मध्यस्थता कार्यवाही शुरू करने के ललित मोदी के कदम को चुनौती देने वाली बीना मोदी की याचिका पर फैसला करना उसका अधिकार क्षेत्र में है।
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