नयी दिल्ली, छह अप्रैल दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक महिला को उसके 24 सप्ताह से अधिक के गर्भ को समाप्त करने की इजाजत दे दी जिसकी मेडिकल रिपोर्ट में भ्रूण के अनेक विकृतियों से ग्रस्त होने की बात कही गयी है।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने अपने आदेश में कहा कि मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार महिला को गर्भपात के दौरान भी जोखिम हो सकता है क्योंकि वह हृदयरोगी है और उसे खून को पतला करने की दवाएं दी जा रही हैं।
अनुमति देने से पहले न्यायमूर्ति सिंह ने महिला के पति से भी बात करके यह जानने का प्रयास किया कि क्या वह गर्भपात के दौरान के जोखिम को समझते हैं।
इसके बाद अदालत ने महिला को चिकित्सकीय गर्भपात की अनुमति दे दी।
महिला ने मार्च के अंतिम सप्ताह में अदालत से गर्भपात की अनुमति मांगी थी। उसने अपनी चिकित्सा जांच में भ्रूण के फेशियल हेम्रेज और हाइड्रोसीफेलस से ग्रस्त होने का हवाला दिया था।
इसके बाद अदालत ने महिला का परीक्षण कर गर्भपात के संबंध में रिपोर्ट देने के लिए एम्स के डॉक्टरों समेत एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया था।
बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि गर्भपात की प्रक्रिया में महिला को खतरा हो सकता है क्योंकि वह हृदयरोगी है लेकिन भ्रूण के अनेक विकृतियों से ग्रस्त होने के कारण गर्भपात की सिफारिश की जाती है।
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