मुंबई, 19 जुलाई भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने शुक्रवार को कहा कि उनके करीब छह साल के कार्यकाल के दौरान सरकार के साथ रिजर्व बैंक के संबंध अच्छे रहे हैं। उन्होंने कोविड-19 महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार का श्रेय दोनों के बीच बेहतर समन्वय को दिया।
यहां अखबार फाइनेंशियल एक्सप्रेस के बीएफएसआई (बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं और बीमा) सम्मेलन में दास ने कहा कि किसी ने भी उनसे यह उम्मीद नहीं की थी कि वे अपने कार्यकाल के दौरान सरकार के लिए ‘चीयरलीडर’ बनेंगे।
उन्होंने अपने एक पूर्ववर्ती द्वारा हाल में लिखी गई पुस्तक में लगाए गए आरोपों के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, “मैं अपने अनुभव से कह रहा हूं। कोई भी यह उम्मीद नहीं करता कि आरबीआई ‘चीयरलीडर’ बनेगा। मेरा ऐसा कोई अनुभव नहीं है।”
नए कार्यकाल के लिए तैयारी को लेकर पूछे गए सवाल पर दास ने कहा कि वह वर्तमान कार्यभार पर पूरी तरह केंद्रित हैं और इसके अलावा किसी अन्य विषय पर नहीं सोचते हैं।
उल्लेखनीय है कि दास का कार्यकाल इस साल दिसंबर में समाप्त हो रहा है। सरकार ने उन्हें 11 दिसंबर, 2018 को शुरूआत में तीन साल की अवधि के लिए आरबीआई का 25वां गवर्नर नियुक्त किया था। उन्हें 2021 में तीन साल के लिए सेवा विस्तार दिया गया।
दास ने कहा कि आरबीआई चालू वित्त वर्ष (2024-25) में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि के अनुमान को हासिल करने के लिए पूरी तरह से आशान्वित है। उन्होंने कहा कि वृद्धि दर बेहतर रहने के साथ मौद्रिक नीति का ध्यान पूरी तरह से मुद्रास्फीति को काबू में लाने पर है...।’’
उन्होंने बैंकों से ऋण और जमा वृद्धि के बीच अंतर पर सतर्क रहने को कहा और सलाह दी कि कर्ज में वृद्धि और जमा वृद्धि से अधिक नहीं होनी चाहिए।
गवर्नर ने कहा कि ऋण और जमा वृद्धि के बीच अंतर के कारण वित्तीय प्रणाली ‘संरचनात्मक रूप से नकदी मुद्दों’ से प्रभावित हो सकती है।
अवैध तरीके से राशि प्राप्त करने और भेजने के लिए उपयोग किये जाने वाले खातों को लेकर चिंताओं के बीच दास ने बैंकों से आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए अपने ग्राहकों को जोड़ने और लेनदेन की निगरानी प्रणालियों को मजबूत करने को कहा।
उन्होंने कहा कि आरबीआई ऐसे खातों और डिजिटल धोखाधड़ी की जांच के लिए बैंकों और जांच एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहा है।
दास ने कहा कि असुरक्षित कर्ज (व्यक्तिगत ऋण, क्रेडिट कार्ड आदि) पर आरबीआई के कदमों का वांछित प्रभाव पड़ा है और इस मामले में वृद्धि धीमी हुई है। हालांकि उन्होंने पहले से ही इस श्रेणी में अधिक कर्ज के बावजूद कुछ बैंकों द्वारा असुरक्षित ऋण पर उच्च सीमा रखने को लेकर चिंता जतायी।
उन्होंने ऐसे बैंकों को सूझ-बूझ के साथ काम करने की सलाह दी तथा उन्हें इस मामले में अति-उत्साह से बचने को कहा।
दास ने साफ किया कि किसी को भी यह नहीं मानना चाहिए कि बैंकिंग प्रणाली में कोई बड़ी समस्या है और वास्तव में यह बहुत मजबूत बनी हुई है।
उन्होंने कहा कि आरबीआई फिलहाल कॉरपोरेट इकाइयों को बैंकों का स्वामित्व या उन्हें बढ़ावा देने की अनुमति देने के किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रहा है। आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा कि समूह से जुड़े पक्षों के बीच लेनदेन का मुद्दा है और उन पर नियंत्रण रखना कठिन है।
उन्होंने कहा कि देश में बैंकों के अधिक प्रसार की नहीं, बल्कि बेहतर रूप से संचालित और मजबूत संस्थाओं की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सार्वभौमिक बैंक लाइसेंस के लिए सदा सुलभ सुविधा उन लोगों के लिए खुली रहेगी जो इसके लिए उपयुक्त और योग्य हैं।
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