मुंबई, 1 फरवरी: बंबई उच्च न्यायालय ने एक न्यायाधीश पर आक्षेप लगाने संबंधी एक मनगढ़ंत खबर प्रस्तुत करने के लिए स्वत: संज्ञान लेते हुए तीन वकीलों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की है. अदालत के मुताबिक ऐसे कृत्य अदालत की गरिमा को कम करते हैं. न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई और न्यायमूर्ति एन. आर. बोरकर की पीठ ने 29 जनवरी के अपने आदेश में कहा कि इस तरह के ‘‘जानबूझकर, प्रेरित और अवमाननापूर्ण कृत्य’’ न्याय प्रशासन को कमजोर करते हैं और इससे अदालत की गरिमा कम होती है.
पीठ ने कहा कि धनशोधन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार अमर मूलचंदानी की याचिका पर भीष्म पहुजा (एक वकील भी) ने अपने वकीलों जोहेब मर्चेंट और मीनल चंदनानी के माध्यम से एक अर्जी दी थी. मूलचंदानी ने अपनी याचिका में मामले को रद्द करने का अनुरोध किया था. आवेदन में वकीलों ने एक कथित समाचार क्लिपिंग को आधार बनाया जिसमें दावा किया गया था कि मामले की सुनवाई कर रहे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के मूलचंदानी के साथ अच्छे संबंध थे और इसलिए मामला रद्द कर दिया जाएगा.
आवेदन में याचिका को उच्च न्यायालय की दूसरी पीठ को स्थानांतरित करने का अनुरोध किया गया था. उच्च न्यायालय के आदेश पर उक्त समाचार की सत्यता की पुलिस ने जांच की और अदालत को सौंपी रिपोर्ट में कहा कि यह खबर झूठी और मनगढ़ंत थी. रिपोर्ट आने के बाद पहुजा, मर्चेंट और चंदनानी ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी और उन्होंने अदालत से माफी मांगी.
हालांकि, पीठ ने उनकी माफीनामे को अस्वीकार करते हुए कहा कि एक वकील ऐसा कोई कार्य नहीं कर सकता जिससे किसी न्यायाधीश या संस्था की बदनामी हो. पीठ ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्री विभाग को निर्देश दिया कि वह तीनों वकीलों को नोटिस जारी कर पूछे कि आपराधिक अवमानना करने के लिए उनके खिलाफ अदालत की अवमानना अधिनियम के तहत कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए.
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