चंडीगढ़, 23 दिसंबर हरियाणा विधानसभा चुनाव में पार्टी की चौंकाने वाली हार की विस्तृत जांच कर चुकी कांग्रेस की तथ्यान्वेषी समिति के प्रमुख ने सोमवार को एक ‘अंतरिम रिपोर्ट’ जारी की, जिसमें मतगणना के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में विसंगतियों का आरोप लगाया गया है।
आठ सदस्यीय समिति के प्रमुख और पार्टी के वरिष्ठ नेता करण सिंह दलाल ने यहां संवाददाताओं से कहा, “विधानसभा चुनावों से पहले हर सर्वेक्षण कांग्रेस के पक्ष में था, राज्य में माहौल कांग्रेस के पक्ष में था। लेकिन परिणाम विपरीत थे।” उन्होंने पार्टी की चुनाव हार के विभिन्न कारण गिनाए और सत्तारूढ़ भाजपा पर सरकारी तंत्र का उसके पक्ष में दुरुपयोग करने का आरोप भी लगाया।
भाजपा 48 सीटें जीतकर लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटी, कांग्रेस ने 37 सीटें जीतीं, इनेलो ने दो सीटें जीतीं जबकि तीन सीटें निर्दलियों ने जीतीं।
दलाल ने आरोप लगाया कि “इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की बैटरियां 99 प्रतिशत तक चार्ज रहने का मुद्दा कांग्रेस द्वारा उठाया गया था और मतगणना की गति धीमी होना भी एक मुद्दा था।”
उन्होंने आरोप लगाया, “आगे विस्तृत विश्लेषण से पता चलता है कि विभिन्न बूथों पर ईवीएम मतों में अंतर है। जिन क्षेत्रों में भाजपा ने मामूली अंतर से जीत दर्ज की, वहां मतों में बढ़ोतरी हुई और मतदान समाप्त होने के बाद पंचकूला जिले और चरखी दादरी जिले में क्रमशः 10.52 प्रतिशत और 11.48 प्रतिशत ईवीएम मतों में वृद्धि हुई। ये अन्य गंभीर संकेतक हैं।”
उन्होंने दावा किया, “ये सभी बातें मिलकर संकेत देती हैं कि इस प्रक्रिया में गंभीर हेराफेरी हुई है।”
दलाल ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए आरोप लगाया, “...ईसीआई (निर्वाचन आयोग) का आचरण निष्पक्ष नहीं है और इसमें पारदर्शिता का अभाव है। इसका दृष्टिकोण उदासीन है।”
कांग्रेस ने चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद कई आरोप लगाए थे, लेकिन निर्वाचन आयोग ने विधानसभा चुनावों में “अनियमितताओं” के उसके आरोपों को खारिज कर दिया था और कहा था कि पार्टी पूरे चुनावी परिणाम की विश्वसनीयता के बारे में “सामान्य संदेह” उठा रही है, जैसा कि अतीत में हुआ है।
इस बीच, कांग्रेस नेता दलाल ने कहा, “आंकड़ों से पता चलता है कि मतदान के तुरंत बाद और उसके एक दिन बाद उपलब्ध कराए गए मतों के आंकड़ों में भारी अंतर है, साथ ही निर्वाचन आयोग द्वारा अपने कानूनी दायित्वों का पालन करने और सभी उम्मीदवारों को 17-ए, 17सी फॉर्म उपलब्ध कराने में विफलता, जो डाले गए मतों का अंतिम निर्णायक/प्रमाण है, इस तथ्य की ओर इशारा करता है कि या तो ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की गई है या ईवीएम को ही बदल दिया गया है, जिससे पूरी प्रक्रिया अविश्वसनीय/संदिग्ध हो जाती है।”
उन्होंने सवाल उठाया कि निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर उम्मीदवारों को मिले कुल मतों के आंकड़े क्यों नहीं हैं, केवल मत प्रतिशत ही क्यों है।
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