नयी दिल्ली, छह अक्टूबर कांग्रेस ने अडाणी समूह से संबंधित मामले में एक ताजा रिपोर्ट का हवाला देते हुए शुक्रवार को भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) की जांच को लेकर सवाल खड़े किए और आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार में संस्थाओं ने लोगों को निराश किया है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि अडाणी समूह से संबंधित मामले की सच्चाई संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच से ही सामने आ सकती है।
अमेरिकी कंपनी ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ द्वारा अडाणी समूह के खिलाफ ‘अनियमितताओं’ और स्टॉक मूल्य में हेरफेर का आरोप लगाए जाने के बाद से कांग्रेस इस कारोबारी समूह पर निरंतर हमलावर है और आरोपों की जेपीसी से जांच कराए जाने की मांग कर रही है। अडाणी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लगाए गए सभी आरोपों से इनकार किया था और उसका कहना था कि उसकी ओर से कोई गलत काम नहीं किया गया है।
रमेश ने एक खबर का हवाला देते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘पहली बार इस तथ्य को छिपाने का प्रयास करने के बाद कि उसने 2014 में अडाणी समूह के खिलाफ जांच शुरू की थी, ऐसा प्रतीत होता है कि बाजार नियामक सेबी उच्चतम न्यायालय को बताएगा कि उसने 2020 में इसे फिर से शुरू करने के लिए मजबूर होने से पहले 2017 में जांच क्यों रोक दी थी। कहा जा रहा है कि सेबी उच्चतम न्यायालय को बताएगा कि शुरुआती जांच में कुछ नहीं निकला।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने 2014 में अडाणी समूह द्वारा बिजली उत्पादन उपकरणों की कीमत से अधिक भुगतान की जांच की थी, जिसमें कथित तौर पर एक अरब डॉलर का फंड निकाला गया था। इस घोटाले की आय को मॉरीशस और संयुक्त अरब अमीरात में स्थित कंपनियों के माध्यम से विनोद अडाणी के दो सहयोगियों, चांग चुंग-लिंग और नासिर अली शाबान अली द्वारा नियंत्रित किया गया था।’’
उन्होंने सवाल किया, ‘‘उस व्यापक डीआरआई जांच को नज़रअंदाज़ क्यों किया गया, जिसमें पहले ही महत्वपूर्ण तथ्य सामने आ चुके थे? क्या अडाणी को क्लीन चिट देने के लिए सेबी पर दबाव डाला गया?क्या यह संयोग है कि यह सब उस व्यक्ति के सेबी अध्यक्ष रहने के दौरान हुआ, जो बाद में अडाणी के स्वामित्व वाले एनडीटीवी में निदेशक बने?’’
रमेश ने दावा किया कि मोदी सरकार के तहत भारत की संस्थाएं लोगों को निराश कर रही हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि ‘मोदानी घोटाले’ का सच जेपीसी से ही सामने आएगा।
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