नयी दिल्ली, 31 मई. कांग्रेस ने रविवार को सॉलिसिटर जनरल की इस टिप्पणी पर सवाल किया कि उच्च न्यायालय देश में समानांतर सरकार चला रहे और पूछा कि क्या यह बयान अदालतों को धमकाने के लिए है. सरकार पर अहंकारी रवैया दिखाने का आरोप लगाते हुए, पूर्व विधि मंत्री और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा, "मैं हैरान हूं कि क्या यह अदालतों को धमकाने के लिये है. यह निश्चित रुप से बहुत अहंकारी रवैया है, इस तरह से व्यक्त नहीं किया जाना चाहिए।"
कांग्रेस ने यह भी कहा कि सरकार ने इस तरह का अहंकार पहले भी दिखाया है, जिसके उदाहरण देते हुए, सिब्बल ने आरोप लगाया कि कुछ न्यायाधीशों का तब तबादला कर दिया गया, जब उन्होंने ऐसे फैसले दिए जिससे सरकार को "असुविधा" हुई. उन्होंने कहा, "इस सरकार ने पहले भी इसी तरह का अहंकार दिखाया है."यह भी पढ़े | Monsoon 2020: मुंबई-ठाणे के लिए 3 जून को ऑरेंज अलर्ट, पालघर के लिए रेड अलर्ट जारी- मौसम विभाग.
कांग्रेस ने कहा कि अदालतों और सरकार, दोनों को इसका संज्ञान लेना चाहिए. सिब्बल ने कहा, "जब तक अदालतें यह नहीं देखती हैं कि जमीन पर क्या हो रहा, तब तक यह इस तरह का हमला और अभिव्यक्ति लोकतांत्रिक वातावरण के अनुकूल नहीं है. सिब्बल ने कहा कि इस सरकार ने एक पत्रकार को "गिद्ध" कहा था और ऐसा कहने में "मुझे लगता है कि सरकार अपनी संस्कृति भूल गई है और हम इसकी निंदा करते हैं. उन्होंने कहा कि पत्रकार इस देश से खराब माहौल को दूर करने के लिए अपने पेशे से प्रतिबद्ध हैं.
गत 24 मार्च (जब देशव्यापी लॉकडाउन घोषित हुआ था) को "अहम मोड़" बताते हुए सिब्बल ने कहा कि देश के लोगों ने सरकार को उसका ध्रुवीकरण का एजेंडा भूलने और कोरोना वायरस महामारी से उपजी परेशानी पर ध्यान केंद्रित करने पर मजबूर किया. सिब्बल ने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा, "सरकार की लोगों के साथ सामाजिक दूरी इतनी बढ़ गई कि उसे यह नहीं पता कि जमीन पर क्या हो रहा है और लोगों, खासकर गरीबों की समस्याओं को कैसे हल किया जाएगा. "
उन्होंने आरोप लगाया, "भविष्य की इतिहास की किताबें इस सरकार को अनर्थकारी बताएंगी। प्रधानमंत्री लोकतंत्र को बचाने के बारे में बात करते हैं, 24 मार्च तक उन्होंने लोकतंत्र का लगा घोंटा. पूर्व कानून मंत्री ने कहा कि 24 मार्च से पहले, इस सरकार का एजेंडा अनुच्छेद 370, गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर), नागरिकता (संशोधित) कानून, तीन तलाक था, न कि शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, गरीबों की चिंता.
उन्होंने कहा, "अगर इस सरकार ने बीते छह साल में लोगों से जुड़े मुद्दों को तवज्जो दी होती, तो भारत आज कुछ और होता. सिब्बल ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने सरकार की लाचारी का पर्दाफाश कर दिया है और समाज में पैदा की गई दरार को लोगों ने खुद ही मौजूदा चुनौती पर फतह पाने के लिए एक दूसरे के साथ खड़े हो कर भर दिया है. कांग्रेस नेता ने कहा, "मैं प्रधानमंत्री से पूछना चाहता हूं कि कम से कम अब तो हमें बताइए कि साथी भारतीयों की आपकी परि क्या है. क्या यह परि 24 मार्च से पहले सटीक बैठती थी. कम से कम अब उस तरीके को बदलें, जिससे आप इस देश के भविष्य को संभाल रहे हैं."
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