नयी दिल्ली, 11 दिसंबर कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार भले ही देश की अर्थव्यवस्था बढ़ने के दावे करती हो, लेकिन अच्छे दिन करीब दस प्रतिशत बड़े पूंजीपतियों के ही आए हैं, वहीं भाजपा ने कहा कि कांग्रेस के 54 साल के शासन में ‘लाइसेंस परमिट और कोटा राज’ रहा और आज कोई भी व्यवसाय कर सकता है लेकिन विपक्षी दल को यह दिखाई नहीं दे रहा और उसने आंख पर पट्टी बांध रखी है।
कांग्रेस सदस्य गौरव गोगोई ने लोकसभा में वर्ष 2023-24 के लिए अनुदानों की अनुपूरक मांगें-प्रथम बैच तथा वर्ष 2020-21 के लिए अतिरिक्त अनुदानों की मांगों पर लोकसभा में चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा, ‘‘हमारी अर्थव्यवस्था बढ़ तो रही है, लेकिन अच्छे दिन करीब दस प्रतिशत लोगों के ही आए हैं। यह सरकार आम उपभोक्ताओं के लिए काम नहीं कर पा रही, चंद कंपनियों के लिए काम कर रही है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आज भी देश में ज्यादातर लोग सरकार के मुफ्त अनाज पर निर्भर हैं। हमें तीसरी बड़ी अर्थव्यवसा होने का दावा करने के बाद भी करोड़ों लोगों को मुफ्त राशन देना पड़ता है।’’
कांग्रेस सांसद ने कहा कि जो निशुल्क खाद्यान्न आज देश के 80 करोड़ लोगों को दिया जा रहा है, वह कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के समय लागू खाद्य सुरक्षा कानून के तहत ही दिया जा रहा है।
गोगोई ने कहा, ‘‘सरकार के और उसके मंत्रियों के दावों को यदि मान भी लें कि आज देश बहुत तरक्की कर रहा है, जीडीपी बढ़ गई है तो अर्थव्यवस्था इतनी अच्छी होने के बाद भी देश में पेट्रोल-डीजल के दाम क्यों नहीं घटे हैं। पूरी दुनिया में इनके दाम घट चुके हैं। हम पूरा लाभ उपभोक्ताओं को क्यों नहीं दे पा रहे।’’
उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आश्वासन के बाद भी सरकार ने 2021 की जनगणना के आंकड़े अब तक जारी नहीं किए हैं जबकि कोरोना महामारी को समाप्त हुए दो वर्ष हो चुके हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि सरकार कबूल करे कि देश की प्रगति में सारी सरकारों की भूमिका रही है। सरकार को देश के इतिहास को दोबारा लिखने की कोशिश नहीं करनी चाहिए और उसे अपने हिसाब से स्वरूप प्रदान नहीं करना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि सरकार को यह गारंटी देनी चाहिए कि जिस तरह इस साल की शुरुआत में दूध, टमाटर और अन्य वस्तुओं के दाम में महंगाई थी, वैसी मुद्रास्फीति की दर अगले वर्ष नहीं रहेगी।
गोगोई ने यह भी कहा कि देश में युवा आबादी बढ़ रही है, लेकिन उन्हें आज की जरूरतों के हिसाब से शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण नहीं मिल रहा है।
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए दावा किया कि आजादी के बाद 1947 से लेकर 1991 तक लगभग 54 साल इस देश में ‘लाइसेंस परमिट और कोटा राज’ रहा। उन्होंने कहा कि इस दौरान चार पहिया वाहन, दुपहिया वाहन या सीमेंट उत्पादन कांग्रेस के करीबी कुछ औद्योगिक घराने ही करते थे और अन्य किसी को लाइसेंस नहीं दिया जाता था।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए उन्हें (विपक्ष को) इस दौर में भी उद्योगपति नजर आ रहे हैं। कांग्रेस को चुनौती है कि वह बताए कि देश में 5जी, 4जी आवंटन की नीलामी में किस कंपनी को शामिल होने से भारत सरकार रोक रही है? आज अनेक कंपनियां सीमेंट बना रही हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों में सरकार आज जिस तरह का प्रोत्साहन दे रही है, वह उन्हें दिख नहीं रहा। कोई आंख पर पट्टी बांध ले तो क्या कर सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया कहती है कि कोरोना महामारी के बाद विश्व की अर्थव्यवस्था तबाह है और अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस तथा जर्मनी जैसे विकसित देशों में भी ऋण दस प्रतिशत की ब्याज पर मिल रहा है।
दुबे ने दावा किया कि पूरी दुनिया में आज मुद्रास्फीति की दर दस प्रतिशत से ज्यादा है जबकि भारत में पांच प्रतिशत के आसपास है।
उन्होंने कहा, ‘‘क्या इसके लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद नहीं देना चाहिए? क्या देश को गौरवान्वित नहीं होना चाहिए?’’
दुबे ने कहा कि विपक्ष के सदस्य पेट्रोल-डीजल के दाम कम नहीं होने की बात करते हैं, लेकिन क्या उन्हें भारत सरकार के प्रस्ताव के अनुसार इन दोनों चीजों को जीएसटी के दायरे में लाने पर आम-सहमति नहीं बनानी चाहिए।
भाजपा सदस्य ने कहा कि पेट्रोल, डीजल के जीएसटी के दायरे में आने के बाद भी दाम अधिक हों, तब कहा जा सकता है कि केंद्र के कारण ऐसा हो रहा है, लेकिन कांग्रेस के शासन वाली राज्य सरकारें अपने यहां कर कम करके राहत नहीं देतीं।
उन्होंने कहा कि मोदी पहले और अब तक के एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने आपदा प्रबंधन के लिए अपनी सोच रखी और जिन्हें गांव, गरीब तथा किसान की चिंता है।
दुबे ने कहा कि यह सरकार देश के 80-81 करोड़ लोगों को 2028 तक मुफ्त अनाज इसलिए दे रही है ताकि वे स्वतंत्रता से अपना रोजगार, व्यापार करते रहें और उन्हें अपने भोजन के बारे में नहीं सोचना पड़े और इस तरह वह बचत करके आत्मनिर्भर बन सकें।
उन्होंने कहा, ‘‘इस सरकार ने पिछले 10 साल में जो किया है, वह ‘न भूतो न भविष्यति’ है।’’
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