नयी दिल्ली, 10 सितंबर कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधवी पुरी बुच की ‘अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड’ नामक कंपनी में उस समय 99 प्रतिशत हिस्सेदारी थी जब यह परामर्शदाता कंपनी ‘महिंद्रा एंड महिंद्रा’ समूह को सेवा प्रदान कर रही थी।
मुख्य विपक्षी दल ने यह दावा भी किया कि माधवी के सेबी की पूर्णकालिक सदस्य रहते उनके पति धवल बुच को साल 2019-21 के बीच महिंद्रा एंड महिंद्रा से 4.78 करोड़ रुपये मिले।
उधर, महिंद्रा एंड महिंद्रा ने कांग्रेस के आरोपों को असत्य और भ्रामक करार देते हुए कहा कि उसने कभी भी सेबी से तरजीह के लिए अनुरोध नहीं किया तथा धवल बुच की सेवा उनके वैश्विक अनुभव को देखते हुए सिर्फ आपूर्ति श्रृंखला के लिए ली गई थी।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को माधवी की इस हिस्सेदारी के बारे में जानकारी थी?
रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘व्यक्तिगत लाभ से प्रेरित निर्णयों के संदर्भ में यह हैं हमारे ताज़ा खुलासे जिसमें अदाणी समूह द्वारा किए गए प्रतिभूति कानूनों के उल्लंघन की जांच कर रही सेबी प्रमुख ख़ुद सवालों के घेरे में हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे सवाल स्पष्ट रूप से नॉन बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री से हैं जिन्होंने उन्हें सेबी के सर्वोच्च पद पर नियुक्त किया है।’’
रमेश ने सवाल किया, ‘‘क्या प्रधानमंत्री को पता है कि माधवी पी. बुच के पास अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड में 99 प्रतिशत हिस्सेदारी है और वह महिंद्रा एंड महिंद्रा सहित सूचीबद्ध कंपनियों से भारी शुल्क प्राप्त कर रही हैं? क्या प्रधानमंत्री को माधवी पी. बुच के इस विवादित इकाई से संबंध के बारे में जानकारी है?’’
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘ क्या प्रधानमंत्री को पता है कि माधवी पी. बुच के पति को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड से पर्याप्त आय प्राप्त हो रही है?’’
कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ हिंडनबर्ग रिपोर्ट में एक कंपनी अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड का नाम सामने आया था, जो कि 7 मई 2013 में पंजीकृत हुई थी। यह कंपनी माधवी पुरी बुच जी और उनके पति की है, लेकिन माधवी जी ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद इस बात का खंडन किया था। ’’
उनका कहना था, ‘‘उस खंडन में माधवी ने लिखा कि जब वह सेबी में चली गईं, तब से यह कंपनी ‘डोरमैंट’ है। लेकिन इस कंपनी में अभी भी 99 प्रतिशत हिस्सेदारी माधवी जी की है।’’
खेड़ा ने कहा, ‘‘जब आप कहीं नौकरी करते हैं तो वहां कुछ नियम होते हैं, लेकिन माधवी जी ने सभी नियमों को ताक पर रख दिया। माधवी जी ने अगोरा के जरिए 2 करोड़ 95 लाख रुपये कमाए
इसमें सबसे ज्यादा 88 प्रतिशत पैसा महिंद्रा एंड महिंद्रा से आया। वहीं, माधवी पुरी जी के पति धवल बुच को साल 2019-21 के बीच में महिंद्रा एंड महिंद्रा से 4 करोड़ 78 लाख रुपए मिले। वो भी तब, जब माधवी पुरी बुच सेबी में पूर्णकालिक सदस्य थीं। यह नियमों का उल्लंघन है।’’
उन्होंने दावा किया कि इस दौरान सेबी ने महिंद्रा एंड महिंद्रा के पक्ष में कई ऑर्डर भी निकाले थे।
कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए महिंद्रा एंड महिंद्रा ने एक बयान में कहा, ‘‘यूनिलीवर के वैश्विक मुख्य खरीद अधिकारी के रूप में सेवानिवृत्त होने के तुरंत बाद, महिंद्रा समूह ने धवल बुच को विशेष रूप से आपूर्ति श्रृंखला में उनकी विशेषज्ञता के चलते 2019 में नियुक्त किया था। उन्होंने अपना अधिकांश समय ‘ब्रिस्टलकोन’ में बिताया है, जो एक आपूर्ति श्रृंखला परामर्श कंपनी है। बुच वर्तमान में ब्रिसलकोन के बोर्ड में हैं।’’
कंपनी ने कहा, ‘‘माधबी पुरी बुच को सेबी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए जाने से लगभग 3 साल पहले धवल बुच महिंद्रा समूह में शामिल हुए थे।’’
उसका कहना है कि यूनिलीवर में धवल बुच के वैश्विक अनुभव के आधार पर आपूर्ति श्रृंखला विशेषज्ञता और प्रबंधन कौशल के लिए उनकी सेवा ली गई।
महिंद्रा एंड महिंद्रा ने कहा, ‘‘हम स्पष्ट रूप से कहना चाहते हैं कि हमने कभी भी सेबी से किसी भी तरजीही व्यवहार के लिए अनुरोध नहीं किया है। हम कॉर्पोरेट प्रशासन के उच्चतम मानकों को बनाए रखते हैं। हम इन आरोपों को झूठा और भ्रामक मानते हैं।’’
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