देश की खबरें | नीट में भौतिकी के प्रश्न पत्र के हिंदी संस्करण में त्रुटि की समिति जांच करेगी, एनटीए ने कहा

नयी दिल्ली, 25 नवंबर राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि नीट (स्नातक) 2021 की परीक्षा में बैठने वाले छात्रों की आशंकाओं को दूर करने के लिए वह तीन विशेषज्ञों की एक समिति नियुक्त करेगी, जो भौतिकी के प्रश्न पत्र के हिंदी संस्करण में कथित त्रुटि वाले उत्तरों का फिर से मूल्यांकन करेगी।

एनटीए की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ को बताया कि प्रश्नों का मूल्यांकन तीन विशेषज्ञों की एक समिति द्वारा फिर से किया जाएगा। पीठ ने उनका बयान रिकॉर्ड में दर्ज किया कि प्रक्रिया पूरी होने के बाद परीक्षा एजेंसी इस अदालत के समक्ष एक हलफनामा दाखिल करेगी जिसमें विशेषज्ञों की समिति द्वारा किए गए मूल्यांकन का विवरण होगा।

पीठ ने कहा, ‘‘सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा है कि नीट (स्नातक) 2021 के लिए हिंदी माध्यम से परीक्षा देने वाले छात्रों की आशंकाओं को दूर करने के लिए हिंदी और अंग्रेजी दोनों संस्करणों का समाधान भौतिकी प्रश्न पत्र (कोड पी2) में सेक्शन-ए के प्रश्न संख्या 2 का मूल्यांकन तीन विशेषज्ञों की एक समिति द्वारा फिर से किया जाएगा।’’

पीठ ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 30 नवंबर की तारीख तय की। शीर्ष अदालत वाजदा तबस्सुम और 21 अन्य नीट उम्मीदवारों द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें भौतिकी के प्रश्न पत्र के हिंदी संस्करण की प्रश्न संख्या-2 में विसंगति और त्रुटि का आरोप लगाया गया।

सुनवाई के दौरान मेहता ने कहा कि इस मुद्दे की तटस्थ विशेषज्ञों द्वारा जांच की गई और उनका मत है कि प्रश्न पत्र के हिंदी अनुवाद में कथित विसंगति या शब्दों की चूक के बावजूद उत्तर वही होगा। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता अर्चना पाठक दवे ने कहा कि शब्दों के चूक के कारण हिंदी संस्करण में एक और जवाब सही है। दवे ने कहा कि राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी) परीक्षा में बैठने वाले 15 लाख से अधिक छात्रों में से लगभग दो लाख छात्रों ने हिंदी संस्करण को चुना है और वे एक नुकसानदेह स्थिति में होंगे क्योंकि गलत उत्तरों के लिए नकारात्मक अंक का प्रावधान था।

इस पर, पीठ ने मेहता से कहा कि हालांकि न्यायाधीश भौतिकी के विशेषज्ञ नहीं हैं और याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि दोनों उत्तर हिंदी और अंग्रेजी संस्करणों में सही हैं, बेहतर होगा कि उत्तरों की फिर से विषय के विशेषज्ञ की जांच समिति द्वारा की जाए।

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