देश की खबरें | आयोग ने किसानों के प्रदर्शन के ‘प्रतिकूल प्रभाव’ पर चार राज्य सरकारोंको नोटिस जारी किया

नयी दिल्ली, 14 सितंबर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान की सरकारों और उनके पुलिस प्रमुखों को इस आरोप पर नोटिस भेजे हैं कि किसानों के जारी विरोध प्रदर्शनों से औद्योगिक इकाइयों और परिवहन पर ‘‘प्रतिकूल प्रभाव’’ पड़ा है और आंदोलन स्थलों पर कोविड-19 सुरक्षा मानदंडों का उल्लंघन किया गया है।

एनएचआरसी ने एक बयान में कहा कि उसने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, केंद्रीय गृह मंत्रालय और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से ‘‘विभिन्न पहलुओं पर किसानों के आंदोलन के प्रतिकूल प्रभाव’’ और विरोध स्थलों पर कोविड प्रोटोकॉल के पालन के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।

इसने कहा, ‘‘एनएचआरसी को किसानों के विरोध प्रदर्शन के संबंध में कई शिकायतें मिली हैं। औद्योगिक इकाइयों पर प्रतिकूल प्रभाव के आरोप हैं और 9,000 से अधिक सूक्ष्म, मध्यम और बड़ी कंपनियों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।’’

आयोग ने कहा कि परिवहन पर भी कथित तौर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, जिससे यात्रियों, मरीजों, दिव्यांगों और वरिष्ठ नागरिकों को विरोध प्रदर्शन करने वाले किसानों द्वारा कब्जा की गई सड़कों पर भारी भीड़ के कारण प्रभावित होना पड़ रहा है।

आयोग ने कहा कि आरोप है कि "प्रदर्शन स्थलों पर आंदोलनकारी किसानों द्वारा कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया जा रहा है।’’ आयोग ने कहा कि यह भी आरोप है कि मार्ग की नाकेबंदी के कारण निवासी अपने घरों से बाहर नहीं निकल पाते।

आयोग ने कहा कि ऐसी खबरें हैं कि आंदोलन के कारण लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है और राज्य की सीमाओं पर बैरिकेड लगा दिए गए हैं।

बयान में कहा गया है कि तदनुसार आयोग ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के मुख्य सचिवों, तीनों राज्यों के पुलिस महानिदेशकों और दिल्ली पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी करके उनसे संबंधित कार्रवाई रिपोर्ट देने को कहा है।

बयान में कहा गया है कि चूंकि आंदोलन में मानवाधिकारों का मुद्दा शामिल है, जबकि शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन करने के अधिकार का भी सम्मान किया जाना चाहिए, आयोग को विभिन्न मानवाधिकार मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत है।

अधिकारियों ने कहा कि इसलिए आयोग ने विभिन्न राज्यों को नोटिस जारी करने के अलावा कुछ और कार्रवाई भी की है।

बयान में कहा गया है कि आर्थिक विकास संस्थान (आईईजी) को किसान आंदोलन के औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियों और उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव और परिवहन सेवाओं में व्यवधान से वाणिज्यिक एवं सामान्य उपभोक्ताओं को असुविधा व अतिरिक्त व्यय सहित प्रभाव की पड़ताल करने और 10 अक्टूबर तक मामले में एक व्यापक रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।

बयान में कहा गया है कि एनडीएमए, गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय को विभिन्न पहलुओं पर किसानों के आंदोलन के प्रतिकूल प्रभाव और विरोध स्थलों पर कोविड प्रोटोकॉल के पालन के संबंध में रिपोर्ट जमा करने को कहा गया है।

बयान में कहा गया है, ‘‘प्रदर्शन स्थल पर एक मानवाधिकार कार्यकर्ता से कथित सामूहिक बलात्कार के मामले में जिलाधिकारी, झज्जर से पीड़िता के परिजन को मुआवजे के भुगतान के संबंध में कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई। एक नया स्मरणपत्र जारी किया गया है और जिलाधिकारी, झज्जर 10 अक्टूबर तक रिपोर्ट दाखिल करें।’’

आयोग ने कहा कि दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क, दिल्ली विश्वविद्यालय से अनुरोध है कि वह सर्वेक्षण करने के लिए टीम प्रतिनियुक्त करे और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करे, जिसमें किसानों के लंबे समय तक आंदोलन के कारण आजीविका, लोगों के जीवन, वृद्ध और अन्य पर प्रभाव का आकलन हो।

विभिन्न राज्यों के किसान तीन नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर पिछले साल 25 नवंबर से दिल्ली-हरियाणा के सिंघू बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर, दिल्ली-उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

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