Weather Update: कश्मीर घाटी में ठंड बढ़ी, कई जगहों पर मौसम का सबसे कम तापमान दर्ज
Winter Storm United States Of America USA (Photo Credit : Twitter)

श्रीनगर, 25 दिसंबर : कश्मीर में न्यूनतम तापमान जमाव बिंदु से कई डिग्री नीचे गिर गया है और शनिवार को कई जगहों पर मौसम की सबसे सर्द रात दर्ज की गई. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी. मौसम विभाग के कार्यालय ने बताया कि इस साल घाटी में क्रिसमस शुष्क, लेकिन ठंडा रहा. हालांकि, अगले हफ्ते बारिश की संभावना है.अधिकारियों के मुताबिक, शनिवार की रात न्यूनतम तापमान जमाव बिंदु से कई डिग्री नीचे चला गया और गुलमर्ग को छोड़कर पूरी घाटी में सामान्य से नीचे रहा. उन्होंने कहा कि कड़ाके की ठंड की वजह से कई इलाकों में पानी की आपूर्ति करने वाले पाइप जम गए हैं, और साथ ही डल झील का अंदरूनी हिस्सा भी जम गया है.

अधिकारियों ने कहा कि श्रीनगर में न्यूनतम तापमान शून्य से 5.8 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया. उन्होंने बताया कि शहर में यह इस मौसम की अब तक की सबसे सर्द रात रही. अधिकारियों ने कहा कि पहलगाम में न्यूनतम तापमान शून्य से सात डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया, जो इस मौसम में अब तक का सबसे कम तापमान है. वहीं, उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले के गुलमर्ग में न्यूनतम तापमान शून्य से 5.6 डिग्री सेल्सियस नीचे रिकॉर्ड किया गया. अधिकारियों के अनुसार, कुपवाड़ा जिले में न्यूनतम तापमान शून्य से छह डिग्री सेल्सियस, जबकि काजीगुंड में शून्य से पांच डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया. वहीं, कोकेरनाग में न्यूनतम तापमान शून्य से 2.2 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा. मौसम कार्यालय ने सोमवार तक जम्मू-कश्मीर में ज्यादातर शुष्क मौसम रहने का अनुमान जताया है, जिसके बाद 30 दिसंबर तक केंद्र-शासित प्रदेश में आमतौर पर बादल छाए रहने की संभावना है, साथ ही ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बर्फबारी हो सकती है. यह भी पढ़ें : Delhi Weather Update: दिल्ली में मौसम की सबसे सर्द सुबह, पारा 5.3 डिग्री सेल्सियस तक लुढ़का

मौसम कार्यालय ने कहा कि न्यूनतम तापमान में मामूली सुधार होगा, जिससे 26 से 31 दिसंबर तक ठंड और शुष्क मौसम से कुछ राहत मिलेगी. कश्मीर वर्तमान में ‘चिल्लई-कलां’ की चपेट में है. 40 दिनों की कड़ाके की सर्दियों की अवधि के दौरान क्षेत्र में शीत लहर चलती है और तापमान में काफी गिरावट आती है, जिससे घाटी के कई हिस्सों में जलस्रोतों के साथ-साथ पाइप लाइन भी जम जाती हैं. इस अवधि में बर्फबारी की संभावना सबसे अधिक होती है और बर्फ भी सबसे ज्यादा गिरती है. अधिकांश क्षेत्रों, विशेष रूप से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारी बर्फबारी होती है. ‘चिल्लई-कलां’ की अवधि 21 दिसंबर से शुरू होती है और 30 जनवरी को समाप्त होती है. इसके बाद 20 दिनों की ‘चिल्लई-खुर्द’ (मध्यम ठंड) और 10 दिनों की ‘चिल्लई-बच्चा’ (छोटी ठंड) अवधि आती है.