देश की खबरें | कोयला घोटाला: अदालत ने महाराष्ट्र की कंपनी के अधिकारियों को सजा सुनाई

नयी दिल्ली, 22 जनवरी दिल्ली की एक अदालत ने 2005 में महाराष्ट्र में तीन कोयला ब्लॉक के आवंटन की मांग के दौरान घोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश रचने के लिये राज्य की एक कंपनी के एक पूर्व अधिकारी को सोमवार को चार साल की सजा सुनाई गई।

अदालत ने कहा कि इससे ‘‘देश को बहुत बड़ी क्षति हुई।’’

विशेष न्यायाधीश संजय बंसल ने ‘टॉपवर्थ ऊर्जा एंड मेटल्स लिमिटेड’ के पूर्व अधिकारी आनंद नंद किशोर सारदा को चार साल की सजा सुनाने के साथ ही उन्हें एक करोड़ रुपये का जुर्माना भरने के लिए भी कहा।

न्यायाधीश ने मामले में कंपनी के दो अन्य पूर्व पदाधिकारियों- अनिल कुमार सक्सेना और मनोज माहेश्वरी को भी तीन साल की सजा सुनाई।

यह मामला महाराष्ट्र के उमरेड जिले में इस कंपनी को मार्की मांगली-द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ कोयला ब्लॉक के आवंटन में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है।

दोषियों ने परिवीक्षा पर रिहाई की मांग को लेकर याचिका दायर की थी, जिसे न्यायाधीश ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि परिवीक्षा का लाभ देने के लिए यह उपयुक्त मामला नहीं है।

न्यायधीश ने कहा, ‘‘मौजूदा मामला एक कोयला ब्लॉक आवंटन से जुड़ा है। दोषियों ने भारत सरकार के साथ धोखाधड़ी कर उक्त ब्लॉक प्राप्त किये थे। अतिरिक्त कानूनी सलाहकार (एएलए) का यह कहना सही है कि देश को इससे बहुत बड़ी क्षति हुई।’’

न्यायधीश ने सारदा को जेल भेज दिया, जबकि सक्सेना और माहेश्वरी की सजा को 45 दिन के लिए निलंबित कर दिया ताकि वे अपनी सजा के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दे सकें।

दोनों को दो-दो लाख रुपये के मुचलके पर राहत दी गई है।

न्यायधीश ने कहा, ‘‘दोषी व्यक्ति यानी ए.के. सक्सेना और मनोज माहेश्वरी तब तक विदेश यात्रा नहीं करेंगे, जब तक कि इस संबंध में उच्च न्यायालय द्वारा विशेष अनुमति नहीं दी जाती है।’’

कोयला ब्लॉक आवंटन के समय आरोपी कंपनी के पदाधिकारी थे।

केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के अनुसार, यह मामला 1993 से 2005 के बीच कोयला ब्लॉक के आवंटन में अनियमितताओं के आरोपों की प्रारंभिक जांच का परिणाम है।

सीबीआई ने इस मामले में नागपुर, यवतमाल और मुंबई में छापे मारे थे।

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