नयी दिल्ली, पांच जून सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) का चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-मई की अवधि में सरकारी खजाने में योगदान 2.2 प्रतिशत घटकर 9,560.28 करोड़ रुपये रह गया है।
कोयला मंत्रालय के अस्थायी आंकड़ों के अनुसार, घरेलू कोयला उत्पादन में 80 प्रतिशत से अधिक का योगदान देने वाली कोल इंडिया लिमिटेड ने एक साल पहले की अवधि में सरकारी खजाने में 9,777.64 करोड़ रुपये का भुगतान किया था।
मई में सरकार को भुगतान किया गया कुल शुल्क पिछले साल के इसी महीने में भुगतान किए गए 4,716.5 करोड़ रुपये से बढ़कर 4,763.20 करोड़ रुपये हो गए।
केंद्र और राज्य सरकारों को दी जाने वाली राशि में रॉयल्टी, जीएसटी, कोयले पर उपकर और अन्य शुल्क शामिल हैं। कोयला उत्पादन से केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को पर्याप्त राजस्व प्राप्त होता है।
वित्त वर्ष 2023-24 के पहले दो माह में सरकारी खजाने में भुगतान की गई कुल राशि में से झारखंड राज्य सरकार को सबसे अधिक 2,122.39 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। इसके बाद ओडिशा सरकार को 2,116.15 करोड़ रुपये, छत्तीसगढ़ को 1,933.59 करोड़ रुपये, मध्य प्रदेश को 1,496.80 करोड़ रुपये और महाराष्ट्र को 1,048.44 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।
राज्य सरकारें कोयले की बिक्री मूल्य पर रॉयल्टी का 14 प्रतिशत और प्रस्तावित जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) के लिए योगदान के रूप में रॉयल्टी का 30 प्रतिशत प्राप्त करने की हकदार हैं - जिसका उद्देश्य विभिन्न परियोजनाओं से प्रभावित लोगों का समर्थन करना है।
निजी, वाणिज्यिक खदानों के मामले में, राज्य पारदर्शी बोली प्रक्रिया में नीलामी धारक द्वारा पेश किए गए राजस्व हिस्से को प्राप्त करने के भी हकदार हैं।
इसके अलावा, राज्य सरकारों को रोजगार में वृद्धि, भूमि मुआवजा, रेलवे, सड़क जैसे संबद्ध बुनियादी ढांचे में निवेश में वृद्धि और कई अन्य आर्थिक लाभ का भी फायदा मिलता है।
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