कोलकाता, 28 नवंबर कोल इंडिया लि. (सीआईएल) को खदान बंद करने की लागत का भार ग्राहकों पर डालने की छूट मिली है लेकिन उसने इस बारे में अबतक कोई कदम नहीं उठाया है।
कोल इंडिया के एक अधिकारी सोमवार को कोयला मंत्रालय की अधिसूचना का जिक्र करते हुए यह बात कही।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की महारत्न कंपनी निदेशक मंडल की मंजूरी के साथ खदान बंद करने की लागत को उपभोक्ता से वसूल सकती है। इसके लिये वह कोयला उपभोक्ताओं पर प्रति टन के आधार पर अतिरिक्त शुल्क लगा सकती है और उन सहायक कंपनियों के लिये धन उपलब्ध कराने पर विचार कर सकती है जो खदान बंद करने के लिये वित्तपोषण में सक्षम नहीं हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘‘कोल इंडिया ने कोयला बिक्री पर इस प्रकार का शुल्क लगाने को लेकर अभी कोई निर्णय नहीं किया है।’’
कोल इंडिया की सालाना रिपोर्ट के अनुसार कंपनी ने मार्च, 2022 की स्थिति के अनुसार कुल 7,238 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है और 2021-22 के दौरान खदान बंद करने के मद में 494 करोड़ रुपये खर्च किये।
कंपनी ने 2021-22 में 62.2 करोड़ टन कोयला उत्पादन किया। चालू वित्त वर्ष में उसका लक्ष्य 70 करोड़ टन उत्पादन का है।
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