नयी दिल्ली, 22 दिसंबर भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने भारत के प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल) ढांचे में सुधार का प्रस्ताव दिया है। उद्योग मंडल ने उभरते क्षेत्रों और डिजिटल बुनियादी ढांचे, हरित पहल, स्वास्थ्य सेवा और नवीन विनिर्माण जैसे उच्च प्रभाव वाले क्षेत्रों को इसमें शामिल करने का सुझाव दिया है।
सीआईआई ने तर्क दिया कि भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) और एनएबीएफआईडी (राष्ट्रीय अवसंरचना वित्तपोषण एवं विकास बैंक) जैसे वर्तमान विकास वित्त संस्थानों (डीएफआई) की भूमिकाएं निर्धारित हैं, क्योंकि उन्होंने वित्तपोषण के लिए क्षेत्रों को चिन्हित किया है। उद्योग मंडल ने पीएसएल मानदंडों के संशोधन पर विचार करने और कुछ नए और उभरते क्षेत्रों को पूरा करने के लिए किसी भी नए डीएफआई की आवश्यकता का पता लगाने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का भी सुझाव दिया।
यह ढांचा न्यायसंगत ऋण वितरण सुनिश्चित करता है, जो वंचित क्षेत्रों की सामाजिक-आर्थिक वृद्धि में योगदान देता है।
सीआईआई ने कहा कि इसकी व्यापक सफलता के बावजूद, पीएसएल ढांचे को प्रासंगिक बने रहने के लिए नियमित रूप से पुनर्संयोजन की आवश्यकता है। पुनर्संयोजन यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि वित्तीय संसाधनों का महत्तम वितरण हो, जो हमारे विकसित भारत-2047 के दृष्टिकोण के अनुरूप हो।
उदाहरण के लिए, आज कृषि क्षेत्र कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 14 प्रतिशत का योगदान देता है, लेकिन इसका पीएसएल आवंटन 18 प्रतिशत पर बना हुआ है, जो तब से अपरिवर्तित है जब इसका जीडीपी हिस्सा 30 प्रतिशत से अधिक था।
सीआईआई ने कहा कि इसी तरह, बुनियादी ढांचे और अभिनव विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में आर्थिक वृद्धि को गति देने की क्षमता के बावजूद पर्याप्त पीएसएल की कमी है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)