विदेश की खबरें | अमेरिका-ताइवान की बैठक के बाद चीन ने ‘सख्त’ कदम उठाने की प्रतिबद्धता जताई
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

मैक्कार्थी ने बुधवार को ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन की मेजबानी की और उन्हें ‘‘अमेरिका की एक करीबी मित्र’’ बताया।

बाइडन प्रशासन का कहना है कि साई इंग-वेन की यात्रा कोई उकसावे की कार्रवाई नहीं है।

अमेरिका और चीन के संबंध पिछले कुछ समय से काफी तनावपूर्ण है और ताइवान को अमेरिकी समर्थन से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है।

चीन सरकार का दावा है कि ताइवान उसके राष्ट्रीय क्षेत्र का हिस्सा है, जबकि ताइवान की वर्तमान सरकार का कहना है कि यह स्वशासित द्वीप पहले से ही संप्रभु है और चीन का हिस्सा नहीं है।

विदेश मंत्रालय द्वारा बृहस्पतिवार सुबह जारी एक बयान में, चीन ने इस बैठक को लेकर कहा कि वह ‘‘राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए दृढ़ और सशक्त कदम’’ उठायेगा।

चीन ने अमेरिका से ‘‘गलत और खतरनाक रास्ते पर आगे नहीं बढ़ने’’ का आग्रह किया।

चीन के ताइवान मामलों के कार्यालय ने सुबह एक बयान जारी किया, जिसमें साई और उनकी राजनीतिक पार्टी को अलगाववादी बताया गया है।

बयान में कहा गया है, ‘‘हम अपने देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की दृढ़ता से रक्षा करेंगे।’’

चीन के साथ अनावश्यक रूप से बढ़ते तनाव से बचने के लिए मैक्कार्थी और साई इंग-वेन हालांकि बयान जारी करते समय सावधानी बरतते नजर आए।

हालांकि दोनों नेता कैलिफोर्निया में रोनाल्ड रीगन प्रेसिडेंशियल लाइब्रेरी में एकजुटता दिखाने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए नजर आए और ताइवान सरकार के खिलाफ चीन के खतरे को स्वीकार करते हुए दीर्घकालिक अमेरिकी नीति को बनाए रखने की बात की।

मैक्कार्थी ने मुलाकात के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ ताइवान के लोगों के लिए अमेरिका का दृढ़, अटूट समर्थन कायम रहेगा।’’

मैक्कार्थी ने कहा कि अमेरिका-ताइवान संबंध पहले से कहीं अधिक मजबूत हैं।

वहीं साई ने कहा, ‘‘दृढ़ समर्थन ताइवान के लोगों को आश्वस्त करता है कि हम अलग-थलग नहीं हैं।’’

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