बच्चे को अपनी माता के उपनाम के इस्तेमाल का है अधिकार : दिल्ली उच्च न्यायालय
दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि कोई पिता अपनी बेटी के लिए शर्तें नहीं थोप सकता है और हर बच्चे को अपनी मां के उपनाम का इस्तेमाल करने का अधिकार है. अदालत ने एक नाबालिग लड़की के पिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की.
नयी दिल्ली, 7 अगस्त : दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court)ने शुक्रवार को कहा कि कोई पिता अपनी बेटी के लिए शर्तें नहीं थोप सकता है और हर बच्चे को अपनी मां के उपनाम का इस्तेमाल करने का अधिकार है. अदालत ने एक नाबालिग लड़की के पिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. याचिका में व्यक्ति ने प्राधिकारों को यह निर्देश देने का अनुरोध किया है कि दस्तावेजों में उनका नाम उनकी बेटी के उपनाम के रूप में दर्शाया जाए, न कि उनकी मां के नाम के रूप में.
हालांकि, न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने इस तरह का निर्देश देने से इनकार कर दिया और कहा, ‘‘एक पिता के पास बेटी को यह फरमान सुनाने का अधिकार नहीं होता है कि वह केवल उसके उपनाम का उपयोग करे. अगर नाबालिग बेटी अपने ‘सरनेम’ से खुश है तो आपको क्या दिक्कत है?’’ अदालत ने कहा कि प्रत्येक बच्चे को अपनी मां के उपनाम का उपयोग करने का अधिकार है अगर वह ऐसा चाहता है. यह भी पढ़ें : Bihar: बिहार में जातीय जनगणना की सियासत के बीच, ‘सवर्णो’ पर पकड़ मजबूत करने की कवायद
सुनवाई के दौरान व्यक्ति के वकील ने दलील दी कि उसकी बेटी नाबालिग है और इस तरह के मुद्दों पर खुद फैसला नहीं कर सकती है तथा बच्ची के उपनाम को उनकी अलग रह रही पत्नी ने बदल दिया था. उन्होंने दावा किया कि नाम में बदलाव से बीमा कंपनी से बीमा दावों का लाभ लेने में मुश्किल आएगी क्योंकि पॉलिसी लड़की के नाम पर उसके पिता के उपनाम के साथ ली गयी थी. अदालत ने उस व्यक्ति को अपनी बेटी के स्कूल में पिता के रूप में अपना नाम दिखाने की स्वतंत्रता के साथ याचिका का निपटारा कर दिया.