देश की खबरें | चंद्रयान-3 अभियान ‘नये भारत’ की उस भावना का प्रतीक, जो हर हाल में जीतना चाहता है: प्रधानमंत्री

नयी दिल्ली, 27 अगस्त प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता का उल्लेख करते हुए रविवार को कहा कि भारत के इस अभियान ने साबित कर दिया है कि संकल्प के कुछ सूरज चांद पर भी उगते हैं। उन्होंने कहा कि यह अभियान ‘नये भारत’ की उस भावना का प्रतीक बन गया है, जो हर हाल में जीतना चाहता है।

‘आकाशवाणी’ पर प्रसारित मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 104वीं कड़ी में अपने विचार साझा करते हुए मोदी ने भारत के चंद्रयान अभियान को नारी-शक्ति का भी जीवंत उदाहरण बताया और कहा कि यह ‘सबके प्रयास’ से ही संभव हो सका।

देश के लोगों को परिवार का सदस्य बताते हुए मोदी ने कहा, ‘‘चंद्रयान-3 की सफलता ने सावन उत्सव के माहौल को कई गुना बढ़ा दिया है। चंद्रयान को चंद्रमा पर पहुंचे तीन दिन से ज्यादा समय हो रहा है। यह सफलता इतनी बड़ी है कि इसकी जितनी चर्चा की जाए, वह कम है।’’

प्रधानमंत्री ने अपनी लिखी कविता ‘अभी तो सूरज उगा है’ सुनाते हुए कहा कि 23 अगस्त को भारत ने और भारत के चंद्रयान ने यह साबित कर दिया कि संकल्प के कुछ सूरज चांद पर भी उगते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘चंद्रयान मिशन नये भारत की उस भावना का प्रतीक बन गया है, जो हर हाल में जीतना चाहता है और हर हाल में जीतना भी जानता है।’’

प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से दिए अपने भाषण में महिला-नीत विकास को सशक्त करने का उल्लेख किया और कहा कि जहां महिला शक्ति का सामर्थ्य जुड़ जाता है, वहां असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत का चंद्रयान मिशन नारी शक्ति का भी जीवंत उदाहरण है। इस पूरे मिशन से कई महिला वैज्ञानिक और इंजीनियर जुड़े रहे। इन्होंने परियोजना निदेशक, परियोजना प्रबंधन जैसी कई जिम्मेदारियां संभालीं। भारत की बेटियां अब अनंत समझे जाने वाले अंतरिक्ष को भी चुनौती दे रही हैं। किसी देश की बेटियां जब इतनी आकांक्षी हो जाएं, तो उस देश को विकसित बनने से भला कौन रोक सकता है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश ने ‘इतनी ऊंची उड़ान’ इसलिए पूरी की है, क्योंकि आज सभी के सपने भी बड़े हैं और प्रयास भी बड़े हैं।

मोदी ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता में वैज्ञानिकों के साथ ही दूसरे क्षेत्रों की भी अहम भूमिका रही है। उन्होंने इस अभियान के लिए कलपुर्जों और तकनीकी जरूरत को पूरी करने में देशवासियों के योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि ‘सबके प्रयास’ से ही यह सफलता मिली है।

चांद की धरती पर उतरकर भारत ने गत बुधवार को इतिहास रच दिया। चंद्रयान-3 ने बुधवार शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की जहां आज तक कोई भी नहीं पहुंचा था।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर भारत की अध्यक्षता में हो रहे जी-20 शिखर सम्मेलन में ‘जनभावना की भागीदारी’ की भावना को सबसे आगे बताते हुए देशवासियों से देश का मान बढ़ाने के लिए इसे सफल बनाने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि सितंबर का महीना भारत के सामर्थ्य का साक्षी बनने जा रहा है, जिसके लिए देश पूरी तरह से तैयार है।

भारत की अध्यक्षता में राजधानी दिल्ली में नौ और 10 सितंबर को जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन होना है।

मोदी ने कहा कि इस आयोजन में हिस्सा लेने के लिए 40 देशों के राष्ट्राध्यक्ष और अनेक वैश्विक संगठनों के प्रतिनिधि दिल्ली आ रहे हैं, जो इस शिखर सम्मेलन के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी भागीदारी होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं सभी देशवासियों से कहूंगा कि आइए, मिलकर जी-20 सम्मलेन को सफल बनाएं, देश का मान बढ़ाएं।’’

प्रधानमंत्री ने भारत की अध्यक्षा में हो रहे इस शिखर सम्मेलन को ‘पीपुल्स प्रेसिडेंसी’ करार दिया और कहा कि इसमें जनभागीदारी की भावना सबसे आगे है।

उन्होंने कहा, ‘‘अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत ने जी-20 को और ज्यादा समावेशी मंच बनाया है। भारत के निमंत्रण पर ही अफ्रीकी संघ भी जी-20 से जुड़ा और अफ्रीका के लोगों की आवाज दुनिया के इस अहम मंच तक पहुंची।’’

प्रधानमंत्री ने इस दौरान ‘हर घर तिरंगा अभियान’ का भी उल्लेख किया और कहा कि देशवासियों के प्रयास ने वास्तव में इसे ‘हर मन तिरंगा अभियान’ बना दिया।

उन्होंने कहा कि इस अभियान के दौरान जहां कई रिकॉर्ड बने, वहीं करोड़ों की संख्या में तिरंगे खरीदे गए।

मोदी ने बताया कि डाकघरों से 1.5 करोड़ तिरंगे बेचे गए, जिससे कामगारों, बुनकरों और खासकर महिलाओं की सैकड़ों करोड़ रुपये की आय भी हुई है।

उन्होंने कहा कि इस बार तिरंगे के साथ सेल्फी पोस्ट करने वालों की संख्या पिछले साल के 5 करोड़ के मुकाबले 10 करोड़ को भी पार कर गई।

प्रधानमंत्री ने ‘मेरी माटी, मेरा देश’ अभियान का जिक्र करते हुए विश्वास जताया कि देशवासियों के प्रयास से यह अभियान भी सफल होगा।

सावन महीने की ‘पूर्णिमा’ के दिन ‘विश्व संस्कृत दिवस’ मनाए जाने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आज लोगों में संस्कृत को लेकर जागरूकता और गर्व का भाव बढ़ा है।

देश में डेयरी क्षेत्र के विकास का उल्‍लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र ने महिलाओं के जीवन में एक बड़ा बदलाव लाने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है।

उन्‍होंने कहा कि देश की अनेक डेयरी सामूहिक प्रयासों से आधुनिक सोच के साथ विकसित हो रही हैं। उन्‍होंने गुजरात की बनास डेयरी, वाराणसी दुग्‍ध संघ, केरल की मालाबार दुग्‍ध संघ डेयरी का उल्‍लेख किया।

प्रधानमंत्री ने चीन में संपन्न ‘वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स’ के विजेता खिलाड़ियों की सफलता को रेखांकित हुए कहा कि हॉकी, फुटबॉल, कबड्डी, खो-खो जैसे धरती से जुड़े हुए खेलों में भारत को कभी पीछे नहीं रहना चाहिए।

उन्होंने कहा कि खेलकूद को लेकर देश के युवाओं और परिवारों में पहले जो धारणा थी वह अब बदली है और अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भारतीय खिलाड़ियों की सफलता उन्हें प्रेरित कर रही है।

मोदी ने कहा कि 1959 से लेकर अब तक जितने भी ‘वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स’ हुए हैं, उनमें जीते सभी पदकों को जोड़ दें तो भी यह संख्या 18 तक ही पहुंचती है।

उन्होंने कहा, ‘‘इतने दशकों में सिर्फ 18, जबकि इस बार हमारे खिलाड़ियों ने 26 पदक जीत लिए।’’

प्रधानमंत्री ने इन खेलों के पदक विजेताओं में से कुछ के साथ बातचीत की और उन्‍हें सफलता पर बधाई दी।

इस संवाद के दौरान खिलाड़ियों ने अपने संघर्ष की कहानियां बताईं और अनुभव भी प्रधानमंत्री से साझा किए।

प्रधानमंत्री ने अगले महीने शुरू हो रहे त्योहारों के मौसम का भी जिक्र किया और देशवासियों को रक्षाबंधन की भी शुभकामनाएं दीं।

उन्होंने इस अवसर पर देशवासियों से स्थानीय उत्पादों को महत्व दिए जाने के ‘लोकल फॉर वोकल’ अभियान को भी याद रखने की अपील की।

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