नयी दिल्ली, 11 दिसंबर सरकार ने जमाखोरी रोकने और कीमतों में तेजी पर लगाम लगाने के लिए बुधवार को थोक विक्रेताओं, छोटे और बड़े खुदरा विक्रेताओं और प्रसंस्करणकर्ताओं के लिए गेहूं का स्टॉक रखने के मानदंडों को और सख्त कर दिया।
खाद्य मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘गेहूं की कीमतों को कम करने के निरंतर प्रयासों के तहत केंद्र सरकार ने 31 मार्च, 2025 तक लागू गेहूं की स्टॉक सीमा को संशोधित करने का फैसला किया है।’’
संशोधित मानदंडों के अनुसार, थोक विक्रेताओं को अब 2,000 टन के बजाय 1,000 टन तक गेहूं का स्टॉक रखने की अनुमति होगी। वहीं खुदरा विक्रेता प्रत्येक बिक्री केंद्र पर 10 टन के बजाय पांच टन का स्टॉक रख सकते हैं, जबकि बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेता प्रत्येक बिक्री केंद्र पर 10 टन के बजाय पांच टन गेहूं ही रख सकते हैं।
प्रसंस्करणकर्ताओं को अप्रैल, 2025 तक शेष महीनों से गुणा करके अपनी मासिक स्थापित क्षमता के 60 प्रतिशत के बजाय 50 प्रतिशत को बनाए रखने की अनुमति दी जाएगी।
गेहूं पर स्टॉक सीमा पहली बार 24 जून को लगाई गई थी और बाद में समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने और जमाखोरी और सट्टेबाजी को रोकने के लिए नौ सितंबर को मानदंडों को कड़ा किया गया था।
मंत्रालय ने कहा कि सभी गेहूं भंडारण संस्थाओं को गेहूं स्टॉक सीमा पोर्टल पर पंजीकरण करना और हर शुक्रवार को स्टॉक की स्थिति को अद्यतन करना आवश्यक है।
यदि संस्थाओं के पास स्टॉक निर्धारित सीमा से अधिक है, तो उन्हें अधिसूचना जारी होने के 15 दिन के भीतर अपनी मात्रा को निर्धारित स्टॉक सीमा तक लाना होगा।
कोई भी संस्था जो पोर्टल पर पंजीकृत नहीं पाई जाती है या स्टॉक सीमा का उल्लंघन करती है, उसपर आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत उपयुक्त दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
खाद्य मंत्रालय कीमतों को नियंत्रित करने और देश में आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गेहूं की स्टॉक स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)