लखनऊ, 26 नवंबर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने सोमवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी का संसदीय निर्वाचन रद्द करने के लिये उसके (केंद्र के) समक्ष भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक कार्यकर्ता द्वारा दायर एक अभ्यावेदन पर लिए गए निर्णय से अदालत को अवगत कराये।
न्यायमूर्ति ए.आर. मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने कर्नाटक के भाजपा कार्यकर्ता एस. विग्नेश शिशिर द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया। याचिका में कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर इस साल हुए लोकसभा चुनाव में रायबरेली सीट से चुनाव लड़ने के दौरान अपनी 'ब्रिटिश नागरिकता' छुपाने का आरोप लगाते हुए उनका निर्वाचन रद्द करने का आग्रह किया गया है।
पीठ ने कहा कि शिशिर द्वारा इस सिलसिले में केन्द्र को जो अभ्यावेदन भेजा गया है उस पर सरकार ने जो भी निर्णय लिया है, उसे 19 दिसंबर को मामले की अगली सुनवाई के दौरान इस अदालत को बताया जाए।
पीठ ने याचिका पर पिछली बार सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से जानकारी मांगी थी कि क्या उसे याचिकाकर्ता का अभ्यावेदन प्राप्त हुआ है। इस आदेश के अनुपालन में उप सॉलिसिटर जनरल एस.बी. पांडे ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता का अभ्यावेदन संबंधित मंत्रालय को प्राप्त हो गया है और वर्तमान में वह प्रक्रियाधीन है।
जनहित याचिका में दलील दी गयी है कि याची के पास ब्रिटिश सरकार के सम्बन्धित सभी दस्तावेज और कुछ ईमेल हैं, जो साबित करते हैं कि राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं और इस वजह से वह भारत में चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हैं। ऐसे में वह लोकसभा सदस्य का पद नहीं संभाल सकते।
याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि उन्होंने राहुल की दोहरी नागरिकता के संबंध में दो बार सक्षम प्राधिकारी को शिकायत भेजी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने पर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।
याचिका में यह भी मांग की गई है कि राहुल गांधी की दोहरी नागरिकता भारतीय न्याय संहिता और पासपोर्ट अधिनियम के तहत अपराध है, लिहाजा सीबीआई को मामला दर्ज कर इसकी जांच करने का आदेश दिया जाए।
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