नयी दिल्ली, 23 अक्टूबर पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को कहा कि उन्होंने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम रूप से बारिश कराने के सिलसिले में ‘क्लाउड सीडिंग’ के प्रस्ताव को मंजूरी देने को लेकर सभी हितधारकों की बैठक बुलाने का अनुरोध दोहराया है।
राय ने दिल्ली में खराब होती वायु गुणवत्ता के बीच यह पत्र लिखा है।
बुधवार सुबह राष्ट्रीय राजधानी में धुंध की मोटी परत छाई रही और वायु गुणवत्ता सूचकांक 363 रहा, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) का दूसरा चरण लागू किया, जिसके तहत कोयले और जलाऊ लकड़ी के साथ-साथ डीजल जनरेटर के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को लिखे अपने पत्र में राय ने खतरनाक धुंध और प्रदूषण के स्तर से उत्पन्न स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने के लिए क्लाउड सीडिंग समेत आपातकालीन उपायों की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने यादव को इस संबंध में 30 अगस्त और 10 अक्टूबर को लिखे गए उनके पिछले पत्रों की भी याद दिलाई।
राय ने कहा, "दिल्ली की वायु गुणवत्ता पहले ही खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है और सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए 25 सितंबर, 2024 से शीतकालीन कार्य योजना लागू की है। हालांकि, स्थिति बिगड़ने पर हम तत्काल राहत के लिए वैकल्पिक समाधान तलाश रहे हैं।"
दिल्ली सरकार ने पहले भी क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया पर विचार किया है, जिसमें वातावरण से प्रदूषकों को हटाने के लिए कृत्रिम रूप से वर्षा करायी जाती है। हालांकि, इसके लिए रक्षा मंत्रालय, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण समेत विभिन्न केंद्रीय सरकारी एजेंसियों से मंजूरी की आवश्यकता हो सकती है।
राय ने कहा कि नवंबर में वायु गुणवत्ता के गंभीर स्तर पर पहुंचने की आशंका को देखते हुए इस समस्या से निपटने के लिए सभी संबंधित हितधारकों की बैठक बुलाई जानी चाहिए।
उन्होंने संभावित आपातकालीन उपाय के रूप में क्लाउड सीडिंग को लागू करने के लिए सीपीसीबी, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) और नागरिक उड्डयन ब्यूरो जैसी एजेंसियों के बीच समन्वय के महत्व को रेखांकित किया।
राय के पत्र में आईआईटी कानपुर द्वारा क्लाउड सीडिंग की व्यवहार्यता को रेखांकित करने वाला एक प्रस्तुतिकरण भी शामिल था।
पत्र में कहा गया है, "प्रदूषण के बिगड़ते स्तर को देखते हुए, यह जरूरी है कि हम दिल्ली के संदर्भ में इस पद्धति की व्यवहार्यता का मूल्यांकन करें।"
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)