नयी दिल्ली, 29 जून सरकार ने सोमवार सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उपक्रमों को औपचारिक क्षेत्र में लाने की 10,000 करोड़ रुपये की - प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उपक्रम योजना पीएम-एफएमई पेश की। खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि इस केंद्रीय योजना के तहत देश भर में दो लाख सूक्ष्म प्रसंस्करण इकाइयों को स्थापित करने के लिए रिण से जुड़ी सब्सिडी प्रदान करते समय 'एक जिला, एक उत्पाद' क्लस्टर का दृष्टिकोण अपनाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि 'प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उपक्रम फार्मलाइजेशन (संगठनीकरण) योजना (पीएम-एफएमई)' का उद्देश्य रिण, प्रौद्योगिकी और खुदरा बाजार पहुंच की चुनौतियों को दूर करके स्थानीय ब्रांड को वैश्विक बनाना है।
उन्होंने कहा कि सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को मजबूत करने से अपव्यय में कमी आएगी, ख्रेती से इतर नौकरी के अवसरों का सृजन होगा और किसानों की आय दोगुनी करने के सरकारी उद्देश्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
यह कोविड-19 महामारी से उत्पन्न आर्थिक मंदी से निपटने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज के हिस्से के रूप में घोषित किया गया।
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बादल ने इस मौके पर कहा, ‘‘यह एक ऐतिहासिक दिन है। हमने योजना शुरू की है। 'एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी) के क्लस्टर दृष्टिकोण को अपनाएंगे। अस बारे में फैसला करने के लिए राज्यों के पास छूट होगी। ’’
सरकार ने एक अलग बयान में कहा कि इस योजना से कुल 35,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा और नौ लाख कुशल और अर्ध-कुशल रोजगार सृजित होंगे। यह अगले पांच वर्षों में सूचना, प्रशिक्षण, बेहतर प्रदर्शन और औपचारिकरण तक पहुंच के माध्यम से आठ लाख इकाइयों को लाभान्वित करेगा।
ओडीओपी दृष्टिकोण का विवरण देते हुए मंत्री ने कहा कि राज्य मौजूदा शंकुलों (क्लस्टर) और कच्चे माल की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए एक जिले के लिए खाद्य उत्पादों की पहचान करेंगे।
ओडीओपी उत्पाद में जल्द खराब होने वाले उत्पाद, अनाज आधारित या एक जिले और उनके संबद्ध क्षेत्रों में व्यापक रूप से उत्पादित खाद्य उत्पाद हो सकते हैं।
इन उत्पादों में आम, आलू, लीची, टमाटर, कीनू, भुजिया, पेठा, पापड़, अचार, बाजरा आधारित उत्पाद, मछली पालन, मुर्गी पालन, मांस के साथ-साथ पशु आहार, आदि हो सकते हैं। बाकियों में से ओडीओपी उत्पादों का उत्पादन करने वालों को प्राथमिकता दी जाएगी।
योजना के तहत उत्तर पूर्वी और हिमालयी राज्यों में सब्सिडी खर्च केंद्र और राज्यों द्वारा 90:10 के अनुपात में साझा किया जायेगा जबकि अन्य राज्यों और विधायिका वाले केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में यह अनुपात 60:40 रहेगा। अन्य केंद्र शासित प्रदेशों के लिए, केंद्र द्वारा 100 प्रतिशत व्यय किया जाएगा।
इस योजना के तहत मौजूदा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को इकाई के उन्नयन के लिए 10 लाख रुपये तक के कर्ज पर सब्सिडी मिल सकती है।
इस योजना में क्षमता निर्माण और अनुसंधान पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। प्रशिक्षण का काम निफटेम और आईआईएफपीटी के सहयोग से प्रदान किया जायेगा। ये दो अकादमिक एवं शोध संस्थान संस्थान, खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के तहत आते हैं जिसके अलावा राज्य स्तर के तकनीकी संस्थानों की भी मदद ली जायेगी। बयान में कहा गया है कि प्रशिक्षण में सूक्ष्म इकाइयों के लिए उत्पाद विकास, उपयुक्त पैकेजिंग और मशीनरी शामिल होगी।
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