कृषि कानूनों को लाने से पहले केंद्र ने राज्यों, किसानों के साथ विचार विमर्श किया था: कृषि मंत्री तोमर

नयी दिल्ली, पांच फरवरी: केंद्र ने तीन नए कृषि कानूनों को लाने से पहले ‘उचित प्रक्रिया’ का पालन करते हुए किसान समुदाय को विकल्प के रूप में अपने कृषि उपजों के अवरोध मुक्त व्यापार की सुविधा देने के लिए विभिन्न राज्यों और किसानों के साथ परामर्श किया था. यह जानकारी संसद को शुक्रवार को दी गई. राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘‘अध्यादेश / विधेयकों को तैयार करते समय विधिवत प्रक्रिया का पालन किया गया था.’’

कांग्रेस से के सी वेणुगोपाल और भाकपा के बिनॉय विश्वम ने सरकार से तीनों कृषि कानूनों को लाने से पहले पूर्व-विधायी परामर्शों के बारे में जानकारी साझा करने के लिए कहा था और साथ ही इस काम के लिए व्यक्तियों / संगठनों / यूनियनों की संख्या के बारे में पूछा था.

जून 2020 में तीन अध्यादेशों को लाने के ‘तात्कालिक’ कारणों का हवाला देते हुए, तोमर ने कहा कि कोविड-19 की वजह से हुए लॉकडाउन के दौरान बाजारों और आपूर्ति श्रृंखलाओं के विघटन के कारण, किसानों को लाभकारी कीमत पर अपने खेत के निकट अपने उत्पाद की बिक्री कर सकने की सुविधा प्रदान करने की अनुमति देने की सख्त आवश्यकता थी.

उन्होंने कहा कि कोविड-19 स्थिति का मांग पक्ष पर वैश्विक रूप से लंबे समय तक प्रभाव हो सकता है, इसलिए अध्यादेशों को लाने की आवश्यकता बनी ताकि किसानों की आय को बढ़ाने के मकसद को ध्यान में रखते हुए उन्हें नयी सुविधाओं को उपलब्ध कराया जाये और उन्हें राज्य के भीतर और अन्तरराज्यीय बाधामुक्त व्यापार के जरिये बिक्री के लिए बेहतर बाजार पहुंच की सुविधा दी जा सके.

इसके अलावा, मंत्री ने कहा कि अध्यादेशों के मसौदे को विभिन्न मंत्रालयों, नीति आयोग, अन्य के बीच उनकी टिप्पणियों के लिए भेजा गया था.

उन्होंने कहा, ‘‘राज्य सरकारों के साथ भी 21 मई, 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से परामर्श किया गया था, जिसमें राज्यों / संघ शासित प्रदेशों के अधिकारियों ने भाग लिया था, ताकि किसानों को विकल्प प्रदान करने के लिए उन्हें राज्य के भीतर और अंतरराज्यीय बाधा मुक्त व्यापार की सुविधा दी जा सके.’’

तोमर ने कहा कि कोविड ​​-19 परिस्थिति के मद्देनजर, सरकार ने पांच जून, 2020 से 17 सितंबर, 2020 तक की अवधि के दौरान नए कृषि कानूनों के बारे में किसानों और अन्य अंशधारकों के साथ कई वेबिनार के जरिये बातचीत की थी. उन्होंने कहा कि किसान संघों जैसे अंशधारकों से प्राप्त सुझावों के आधार पर ‘किसान’ की परि में संशोधन किया गया है.

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