बॉर्ड ने जीएसटी नियमों में संशोधन किया है। उसने रिफंड आवेदन दाखिल करने की तारीख से लेकर अधिकारी द्वारा उसमें खामी को बताने वाला ज्ञापन जारी करने की तिथि की अवधि को रिफंड आवेदन करने की समग्र समय सीमा से अलग कर दिया है।
ध्रुव एडवाइजर्स एलएलपी नीरज बागरी ने कहा कि कई जीएसटी रिफंड आवेदनों को खामियों के आधार पर लौटा दिया जाता था। जिससे कंपनी को नए सिरे से आवेदन दाखिल करना पड़ता था और इसे नए रिफंड आवेदन के रूप में माना जाता था।
उन्होंने कहा, ‘‘कई दफा ऐसा हुआ है कि रिफंड आवदेन दो साल की भीतर अवधि के दौरान ही कर दिया जाता था। लेकिन विभाग संशोधित रिफंड आवेदन की तिथि को नयी आवदेन तिथि के रूप में मानता रहा है। इस कारण समय सीमा का हवाला देकर आवदेन रद्द कर दिया जाता था। अब सीबीआईसी ने इस नियम में संशोधन कर इस विवाद का अंत कर दिया है।’’
एथेना लॉ एसोसिएट्स पार्टनर पवन अरोड़ा ने कहा कि अब रिफंड आवेदन को अंतिम रिफंड आदेश जारी करने या रिफंड भुगतान के आदेश जारी करने से पहले वापस लिया जा सकता है। रिफंड नियमों में संशोधन ने खामी बताने वाला नोटिस मिलने के बाद नए सिरे से रिफंड आवेदन दाखिल करने की समय सीमा संबंधी सबसे बड़े विवाद का समाधान कर दिया है।
एएमआरजी के सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि नियमों में बदलाव से निर्यातकों सहित कई करदाताओं को मदद मिलेगी। जीएसटी नियमों में वर्तमान संशोधन करदाताओं को किसी भी गलती को ठीक करने के लिए जीएसटी रिफंड आवेदन को वापस लेने का विकल्प देगा।
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