जयपुर, सात नवंबर राजस्थान में विधानसभा की सात सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए चुनाव प्रचार जारी है जहां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के साथ साथ कांग्रेस व अन्य क्षेत्रीय दलों के नेताओं ने मतदाताओं को रिझाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
राज्य की सात सीटों झुंझुनू, दौसा, देवली-उनियारा, खींवसर, चौरासी, सलूंबर और रामगढ़ पर उपचुनाव के लिए मतदान 13 नवंबर को होगा और नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।
दीवाली के त्योहारी सीजन के बाद चुनाव प्रचार में तेजी आयी है। इन सीटों पर राजनीतिक समीकरण भी तेजी से बदलते नजर आ रहा हैं। विशेष रूप से चौरासी, खींवसर, झुंझुनू और रामगढ़ सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है।
खींवसर सीट पर भाजपा और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के बीच सीधा मुकाबला था लेकिन अब वहां कांग्रेस भी बढ़त लेती नजर आ रही है। सांसद हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व वाली आरएलपी के लिए इस जाट बहुल सीट पर मुकाबला कठिन हो गया है क्योंकि इस बार उसके सामने सत्तारूढ़ भाजपा व मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस, दोनों के उम्मीदवार हैं। यहां बेनीवाल की पत्नी कनिका, भाजपा के रतन चौधरी और कांग्रेस के रेवंत राम डांगा चुनाव लड़ रहे हैं।
वहीं आदिवासी बहुल इलाके की चौरासी विधानसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के प्रभाव को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं। बीएपी ने हाल के लोकसभा और उससे पहले विधानसभा चुनाव में इन दोनों राष्ट्रीय दलों पर एक तरह से बढ़त ली थी। चौरासी सीट से बीएपी के विधायक राजकुमार रोत इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में जीते थे।
भाजपा के एक नेता के अनुसार, दूसरे दलों के प्रभाव को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं को मैदान में उतारा गया है। संघ कार्यकर्ता इस बार मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं। भाजपा ने इस सीट पर कारीलाल को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस और बीएपी ने क्रमश: महेश रोत और अनिल कटारा को मौका दिया है। स्थानीय नेता मानते हैं कि यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और बीएपी के बीच है।
राज्य की झुंझुनू विधानसभा सीट पर इस उपचुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा है। भाजपा ने अपने बागी राजेंद्र भांभू को टिकट दिया है। कांग्रेस ने सांसद बृजेंद्र ओला के बेटे अमित ओला को मैदान में उतारा है। पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा और आजाद समाज पार्टी के नेता अमीन मनियार कांग्रेस को चुनौती दे रहे हैं। गुढ़ा पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में मंत्री थे।
कांग्रेस ने अपने विधायक जुबैर खान के निधन से खाली हुई रामगढ़ सीट पर उनके बेटे आर्यन को मैदान में उतारा है। यहां कांग्रेस को सहानुभूति के वोट मिलने की उम्मीद है, हालांकि भाजपा भी यहां काफी मेहनत करती दिख रही है। यहां भाजपा के उम्मीदवार सुखवंत सिंह हैं। दोनों ही पार्टियां दलित वोट बैंक को लुभाने पर ध्यान दे रही हैं। सुखवंत सिंह ने पिछले विधानसभा चुनाव में आजाद समाज पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था, तब उन्हें दलित समुदाय के अच्छे खासे वोट मिले थे।
राज्य विधानसभा में कुल 200 सीट हैं जिनमें से पांच सीट विधायकों के सांसद बनने के कारण और दो सीट विधायकों के निधन के कारण खाली हैं।
राजस्थान की जिन सात विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं उनमें झुंझुनू सीट कांग्रेस के विधायक बृजेंद्र ओला, दौसा सीट कांग्रेस के विधायक मुरारीलाल मीणा, देवली उनियारा सीट कांग्रेस के विधायक हरीश चंद्र मीणा, खींवसर सीट राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के विधायक हनुमान बेनीवाल और चौरासी सीट भारत आदिवासी पार्टी के विधायक राजकुमार रोत के इस्तीफा देने के कारण खाली हुई हैं। इन सभी विधायकों ने इस साल संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में सांसद चुने जाने के बाद इस्तीफा दिया था।
वहीं राज्य की रामगढ़ सीट कांग्रेस विधायक जुबैर खान और सलूंबर सीट भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक अमृतलाल मीणा के निधन के कारण खाली हुई हैं। इस तरह से जिन सात सीट पर उपचुनाव होना है उनमें से चार कांग्रेस के पास थीं।
राज्य विधानसभा में इस समय भारतीय जनता पार्टी के 114, कांग्रेस के 65, भारत आदिवासी पार्टी के तीन, बहुजन समाज पार्टी के दो और राष्ट्रीय लोकदल का एक विधायक है। इसके अलावा आठ निर्दलीय विधायक हैं। निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार उक्त सात विधानसभा सीट में कुल 1,862 मतदान केंद्र और 19,36,532 मतदाता हैं।
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