देश की खबरें | बंबई उच्च न्यायालय ने फिल्म निर्माता के बच्चों का पाकिस्तान में पता लगाने को लेकर केंद्र को फटकारा

मुंबई, 21 सितंबर बंबई उच्च न्यायालय ने फिल्म निर्माता मुश्ताक नाडियाडवाला के दो नाबालिग बच्चों का पाकिस्तान में पता लगाने के लिए आधी अधूरी तैयारी के साथ केवल मौखिक स्तर पर आश्वासन देने को लेकर केंद्र सरकार को बुधवार को फटकार लगाई।

नाडियाडवाला ने दावा किया है कि उनकी पत्नी ने उनके दो बच्चों को वर्ष 2020 से ही पाकिस्तान में अवैध रूप से अपने कब्जे में रखा हुआ है।

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरा और न्यायमूर्ति पी के चव्हाण ने पिछले सप्ताह विदेश मंत्रालय को निर्देश दिया था कि वह कम से कम यह पता लगाए कि बच्चे कहां है और उनके साथ किसी तरह का संपर्क स्थापित करे।

अदालत नाडियाड वाला की याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें उन्होंने अनुरोध किया है कि अदालत सरकार को उनके नौ वर्षीय बेटे और छह वर्षीय बेटी की सुरक्षित वापसी करवाने के लिए उपयुक्त सहायकता करने का निर्देश दे।

निर्माता ने अदालत को दी गई अर्जी में यह भी अनुरोध किया है कि अगर उनकी पत्नी को उसके परिवार ने पाकिस्तान में बंधक बना कर रखा हुआ है तो उसकी भी वापसी कराई जाए।

अधिवक्ता आशीष चव्हाण ने बुधवार को उच्च न्यायालय को बताया कि सरकार बच्चों का पता लगाने का प्रयास कर रही है।

उन्होंने अदालत को बताया कि नाडियाडवाला और विदेश मंत्रालय के तहत आने वाले विदेश में भारतीयों के मामले के विभाग के अवर सचिव के साथ 16 सितंबर को बैठक हुई।

उन्होंने बैठक के मिनट अदालत में जमा किए जिसमें कहा गया था कि चूंकि बच्चे कथित तौर पर पाकिस्तान में हैं और दोनों देशों के बीच आपसी कानूनी सहयोग को लेकर कोई समझौता नहीं है, इसलिए भारत सरकार, पाकिस्तान सरकार के सहयोग के बिना यह पता नहीं लगा सकती कि निर्माता की पत्नी और बच्चे कहां हैं।

चव्हाण ने बताया कि विदेश मंत्रालय ने बच्चों का पता लगाने के लिए इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग से अनुरोध किया है जहां से उत्तर की प्रतीक्षा।

इस पर पीठ कहा कि वह केवल प्रयासों से संतुष्ट नहीं है और आश्वासन चाहती है।

न्यायमूर्ति डेरे ने कहा, ‘‘हम (अदालत) चाहते हैं कि मंत्रालय 100 प्रतिशत दें और हम आपसे संतुष्ट नहीं हो पा रहे हैं। अगर हम ही संतुष्ट नहीं हैं तो याचिकाकर्ता (नाडियाडवाला) कैसे होगा।’’

अदालत ने कहा, ‘‘हमें आधे-अधूरी तैयारी और मौखिक आश्वासन ना दें। हम आपसे (विदेश मंत्रालय)यह सुनना चाहते हैं कि आप हर वह चीज करेंगे जिससे बच्चों को लाया जा सके।’’

पीठ ने इसके बाद मामले की सुनवाई तीन और सप्ताह के लिए टाल दी।

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