Year Ender 2020: बंबई हाईकोर्ट ने अर्नब गोस्वामी से लेकर सुशांत सिंह राजपूत तक की इन मामलों की ऑनलाइन सुनवाई, जानें लॉकडाउन के दौरान B-Town से लेकर किन-किन मामलों पर हुई डिजिटल हियरिंग

इस साल कोरोना वायरस महामारी के कारण लगे लॉकडाउन के चलते बंबई उच्च न्यायालय और महाराष्ट्र की सभी निचली अदालतों में मामलों पर सुनवाई डिजिटल तरीके से हुई, जैसा पहले कभी नहीं देखा गया था. जून में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जहां देश हैरान था वहीं इस घटना से जुड़े अनेक वाद अदालतों में दायर किए गए.

लॉकडाउन के दौरान मुंबई में इन मामलों पर हुई सुनवाई (Photo Credits: ANI/Twitter)

मुंबई, 26 दिसंबर: इस साल कोरोना वायरस महामारी (Corona Pandemic) के कारण लगे लॉकडाउन के चलते बंबई उच्च न्यायालय और महाराष्ट्र की सभी निचली अदालतों में मामलों पर सुनवाई डिजिटल तरीके से हुई, जैसा पहले कभी नहीं देखा गया था. जून में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (SSR) की मौत से जहां देश हैरान था वहीं इस घटना से जुड़े अनेक वाद अदालतों में दायर किए गए. अभिनेत्री कंगना रनौत को भी अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा जब बृह्नमुंबई महानगर पालिका (Brihanmumbai Municipal Corporation) ने बांद्रा में उनके बंगले में कथित 'अवैध' निर्माण को ढहाया. लॉकडाउन के कारण 2008 का मालेगांव विस्फोट मामला और शीना बोरा हत्याकांड जैसे कुछ महत्वपूर्ण आपराधिक मामले अटके रह गए क्योंकि आवाजाही पर पाबंदी के कारण गवाहों से पूछताछ और जिरह में कठिनाई आई. अप्रैल में मुंबई में उच्च न्यायालय की कुछ पीठों ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये आवश्यक मामलों की सुनवाई शुरू की.

ऑनलाइन सुनवाई की व्यवस्था औरंगाबाद, नागपुर और गोवा पीठों के साथ-साथ राज्यभर की निचली अदालतों में भी की गई. कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने अप्रैल माह के अंत में बंबई उच्च न्यायालय के नए मुख्य न्यायाधीश के तौर पर कार्यभार संभाला. लॉकडाउन के बीच उन्होंने कार से अपने बेटे के साथ कोलकाता से मुंबई तक की करीब 2000 किलोमीटर की दूरी तीन दिनों में तय की. उच्च न्यायालय में सालाना ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान भी काम चलता रहा तथा अक्टूबर तक सभी पीठों में ऑनलाइन काम शुरू हो गया. हालांकि नवंबर में उच्च न्यायालय ने प्रत्यक्ष सुनवाई बहाल करने का फैसला किया.

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इस पर कुछ वकील संगठनों ने आपत्ति जताई तो मुख्य न्यायाधीश दत्ता ने कहा कि अदालत हफ्ते में एक दिन ऑनलाइन सुनवाई तथा बाकी के दिन प्रत्यक्ष सुनवाई करेगी तथा यह व्यवस्था 10 जनवरी 2021 तक जारी रहेगी. अप्रैल में उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि दीवानी और फौजदारी मामलों में पारित सभी अंतरिम आदेश अगले फैसले तक जारी रहेंगे क्योंकि वादी अदालतों में नहीं पहुंच सकते हैं. यह निर्देश जनवरी 2021 तक जारी रहेगा. इसी बीच, सितंबर में उच्च न्यायालय ने कंगना रनौत को राहत देते हुए पाली हिल्स इलाके में उनके बंगले सह कार्यालय को ढहाने पर रोक लगा दी. अदालत ने बीएमसी की इस कार्रवाई को गैरकानूनी करार दिया. लेकिन रनौत की कानूनी दिक्कतें खत्म नहीं हुईं. मजिस्ट्रेट अदालत ने ट्विटर पोस्ट के जरिए सांप्रदायिक तनाव भड़काने का प्रयास करने तथा राजद्रोह के कथित आरोपों में पुलिस को रनौत और उनकी बहन रंगोली के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया.

नवंबर में रनौत और उनकी बहन को उच्च न्यायालय से अंतरिम संरक्षण मिला और अब आठ जनवरी को उन्हें पुलिस के समक्ष बयान दर्ज करवाने होंगे. गीतकार जावेद अख्तर ने भी रनौत के कुछ बयानों को लेकर उनके खिलाफ मानहानि की शिकायत दर्ज करवाई. एक मजिस्ट्रेट अदालत ने मुंबई पुलिस को शिकायत की जांच करने का निर्देश दिया है. एक अन्य चर्चित मामले में अभिनेत्री रिचा चड्ढा ने अन्य अभिनेत्री पायल घोष के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज करवाया. घोष ने फिल्मकार अनुराग कश्यप पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. घोष के माफी मांगने के बाद चड्ढा ने मामला वापस ले लिया. रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को अलीबाग पुलिस ने 2018 में एक व्यक्ति को आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में गिरफ्तार किया. एक हफ्ता जेल में बिताने के बाद गोस्वामी को उच्चतम न्यायालय से राहत मिली. इससे पहले बंबई उच्च न्यायालय उन्हें अंतरिम जमानत देने से इनकार कर चुका था.

कथित टीआरपी घोटाले में मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज मामले को रद्द करने की मांग को लेकर गोस्वामी और उनके चैनल ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में उनकी महिला मित्र रिया चक्रवर्ती पर राजपूत के परिवार ने आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज करवाया. वहीं रिया ने राजपूत की बहनों के खिलाफ दवाएं खरीदने के लिए कथित तौर पर डॉक्टर के फर्जी पर्चे का इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज करवाई. इस बीच कुछ पूर्व आईपीएस अधिकारियों ने उच्च न्यायालय में राजपूत की मौत जैसे मामलों में मीडिया कवरेज के नियमन की मांग की. राजपूत की मौत के मामले की जांच के दौरान बॉलीवुड में मादक पदार्थों के इस्तेमाल का खुलासा हुआ तथा सितंबर में स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) ने रिया और उनके भाई शौविक समेत कुछ लोगों को कथित तौर पर मादक पदार्थ की खरीद में लिप्तता के चलते गिरफ्तार किया.

रिया को अक्टूबर में और शौविक को दिसंबर में जमानत मिली. इस बीच हास्य कलाकार भारती सिंह की मुश्किलें भी उस वक्त बढ़ गईं जब उन्हें तथा उनके पति हर्ष लिम्बाचिया को मादक पदार्थों के कथित सेवन के चलते एनसीबी ने गिरफ्तार किया. बाद में मजिस्ट्रेट अदालत ने दोनों को जमानत दे दी. शीना बोरा हत्याकांड में उच्च अदालत ने आरोपी मीडिया कारोबारी रहे पीटर मुखर्जी को फरवरी में जमानत दे दी हालांकि शीना की मां इंद्राणी मुखर्जी अभी जेल में ही है. एलगार परिषद मामले के कुछ आरोपियों ने मूलभूत चीजों और सुविधाओं की मांग को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया. पार्किंसन रोग से पीड़ित 82 वर्षीय स्टैन स्वामी ने अदालत ने स्ट्रॉ और सीपर दिलवाने का अनुरोध किया. मामले के एक अन्य आरोपी गौतम नवलखा ने शिकायत की कि उनका चश्मा जेल में चोरी हो गया और अधिकारियों ने उनके परिवार की ओर से भेजा गया अन्य चश्मा स्वीकार करने से इनकार कर दिया. इस पर अदालत ने कहा कि ये मानवीय अनुरोध हैं जिन्हें नकारा नहीं जाना चाहिए.

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