अमृतसर/चंडीगढ़, दो अक्टूबर पंजाब के अमृतसर में आंदोलनकारी किसानों के एक समूह ने शुक्रवार को भाजपा महासचिव तरुण चुघ का वाहन रोका और कृषि कानूनों को लेकर उनसे बहस की। हालांकि भाजपा नेता प्रदर्शनकारियों के साथ बैठ गए और उन्हें कानूनों के लाभ समझाने का प्रयास किया।
कीर्ति किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने चुघ का वाहन उस समय रोका जब वह अमृतसर जिले में अजनाला के पास हर्षा चिन्ना गांव में किसानों की एक रैली को संबोधित करने जा रहे थे। तीन कृषि कानूनों को लेकर पंजाब में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। किसान राज्य के कुछ हिस्सों में रेल पटरियों को बाधित कर रहे हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं। आंदोलनकारियों की मांग है कि इन कानूनों को वापस लिया जाए और उनका आरोप है कि इनसे कार्पोरेट क्षेत्र को लाभ होगा एवं किसानों को नुकसान होगा।
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भाजपा नेता राजिंदर मोहन सिंह छीना अमृतसर में चुघ के साथ थे। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारी किसानों ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री के साथ एक बैठक की मांग की। छीना ने बताया कि चुघ ने आंदोलनकारियों को समझाया कि कानूनों से उनको लाभ होगा और उन्हें आश्वासन दिया कि भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ एक बैठक की जल्द व्यवस्था की जाएगी।
चुघ ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि ये कृषि कानून किसानों के जीवन में बड़ा बदलाव लाएंगे और उन्हें समृद्ध बनाएंगे। उन्होंने कहा कि वे प्रत्येक किसान से सम्पर्क करेंगे और उन्हें इन ‘‘किसान समर्थक’’ कानूनों के लाभ बताएंगे।
चुघ ने आरोप लगाया कि कांग्रेस किसानों को गुमराह कर रही है जबकि राजग छोड़ने वाला शिरोमणि अकाली दल झूठ फैला रहा है।
भाजपा नेता ने कहा, ‘‘हम दृढ़ता से कह रहे हैं कि एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) वर्तमान की तरह ही जारी रहेगा। इसी तरह, मंडियां भी इसी तरह जारी रहेंगी।’’
संपर्क करने पर, कीर्ति किसान यूनियन के नेता जतिंदरपाल सिंह छीना ने हालांकि कहा कि चुघ को विरोध के कारण किसानों के साथ अपनी बैठक में कटौती करनी पड़ी और वापस लौटना पड़ा।
उन्होंने कहा कि किसान संगठनों ने पहले ही कई भाजपा नेताओं के आवासों के सामने धरना देने और उन्हें मिलने के लिए आने पर अपना विरोध दर्ज कराने का आह्वान किया है।
क्रान्तिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा कि किसानों ने बृहस्पतिवार को अमृतसर में पंजाब भाजपा के पूर्व प्रमुख श्वेत मलिक सहित कई भाजपा नेताओं के आवासों के बाहर धरना दिया।
राज्य के अन्य हिस्सों में, किसानों ने कई संगठनों द्वारा दिए गए अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन के आह्वान के मद्देनजर रेल पटरियां बाधित की और केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाए।
कुल 31 किसान संगठनों ने आंदोलन को तेज करने के लिए हाथ मिलाया है और एक अक्टूबर से ‘रेल रोको’ आंदोलन की घोषणा की है।
क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा कि किसान नए कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए केंद्र पर दबाव बनाना जारी रखेंगे जिन्होंने 30 स्थानों पर रेल पटरियां बाधित की हैं।
भारतीय किसान यूनियन (एकता) के बैनर तले ढाबलान (पटियाला), सुनाम (संगरूर), बुढलाडा (मनसा) और गिद्दड़बाहा (मुक्तसर) में 'रेल रोको' आंदोलन हुआ।
कुछ अन्य किसान संगठनों ने बरनाला, बठिंडा, फरीदकोट, गुरदासपुर, रूपनगर, फिल्लौर, मोगा में रेल पटरियां बाधित की।
किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के बैनर तले किसान 24 सितंबर से अमृतसर और फिरोजपुर में रेल पटरियां बाधित किये हुए हैं।
आंदोलनकारी किसानों ने राज्य में कुछ कॉरपोरेट घरानों और उनके उत्पादों का बहिष्कार करने का आह्वान किया है। उनके अनुसार, केंद्र इन ‘‘काले कानूनों’’ के साथ कुछ कॉर्पोरेट घरानों को ‘‘लाभ’’ पहुंचाना चाहता है।
आंदोलनकारी किसानों ने कहा कि वे तब तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे, जब तक कि कानूनों की वापसी की उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती।
संसद ने हाल में किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किये हैं। इन्हें राष्ट्रपति से भी मंजूरी मिल गई है।
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