मैसुरू (कर्नाटक), नौ अगस्त कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कथित भूमि घोटाले को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल-सेक्युलर (जद-एस) द्वारा निकाले गए ‘मैसुरू चलो’’ मार्च की शुक्रवार को आलोचना की और कहा कि विपक्षी दलों के किसी भी नेता को उनसे सवाल करने का नैतिक अधिकार नहीं है।
उन्होंने लोगों से ‘‘मनुवादियों’’ को बाहर निकालने का आह्वान किया।
कर्नाटक में भाजपा-जद (एस) ने कथित मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण स्थल (एमयूडीए) आवंटन घोटाले के खिलाफ ‘मैसुरू चलो’ पदयात्रा शुरू की है जो शनिवार को समाप्त होगी। बेंगलुरु से मैसुरू तक की यह यात्रा मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के इस्तीफे की मांग को लेकर की जा रही है।
विपक्षी दलों का आरोप है कि एमयूडीए ने उन लोगों को मुआवजे के तौर पर भूखंड वितरित करने में अनियमितता बरती, जिनकी जमीन का ‘‘अधिग्रहण’’ किया गया है। मुआवजे के तौर पर भूखंड प्राप्त करने वालों में सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती भी शामिल हैं।
ऐसा आरोप है कि पार्वती को मैसुरु के एक ‘पॉश’ इलाके में मुआवजे के तौर पर ऐसा भूखंड आवंटित किया गया, जिसका मूल्य उनकी उस जमीन की तुलना में अधिक था, जिसका एमयूडीए ने ‘‘अधिग्रहण’’ किया था।
सिद्धरमैया ने विपक्ष के आरोपों और उसकी पदयात्रा का जवाब देने के लिए यहां महाराजा कॉलेज मैदान में आयोजित विशाल ‘जन आंदोलन’ सम्मेलन में कहा, ‘‘नौ अगस्त अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालने के लिए किए गए ऐतिहासिक ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन की वर्षगांठ है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आज हमें सांप्रदायिक, जातिवादी और सामंती लोगों को बाहर निकालना है। हमें उन मनुवादियों, जातिवादियों और सामंतों का विरोध और निंदा करनी है जो पिछड़े और शोषित लोगों को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं, यह जन आंदोलन इसी लिए हो रहा है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व कांग्रेस मुख्यमंत्रियों देवराज उर्स, एस बंगारप्पा और एम वीरप्पा मोइली को पद छोड़ने के लिए मजबूर किया गया क्योंकि वे पिछड़े समुदायों से थे।
मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा और उनके बेटे एवं केंद्रीय मंत्री एच डी कुमारस्वामी 2006 में पूर्व मुख्यमंत्री एन धरम सिंह को कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन सरकार चलाने के लिए दिए गए अपने वादे से पीछे हट गए और उन्होंने उन्हें सत्ता से बाहर करने के लिए ‘‘सांप्रदायिक’’ भाजपा से हाथ मिला लिया।
सिद्धरमैया ने कहा कि भाजपा और जद (एस) को उनसे सवाल करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है, क्योंकि उनके नेता घोटालों में शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने पूछा कि कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक, पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा, उनके बेटे और भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र को उनसे इस्तीफा मांगने का क्या नैतिक अधिकार है।
सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘अगर येदियुरप्पा में थोड़ी भी शर्म है तो उन्हें राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए। वह 82 साल के हैं। वह पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) कानून के एक मामले में आरोपी हैं, जिसमें आरोप पत्र दाखिल हो चुका है। वह मुझसे 10 अगस्त तक इस्तीफा देने के लिए कह रहे हैं। उन्हें क्या नैतिक अधिकार है? क्या उन्होंने सिर्फ एक या दो घोटाले किए हैं? वह 18 से 20 घोटालों में फंसे हैं।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि विजयेंद्र भी कई घोटालों में फंसे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि विजयपुरा क्षेत्र से भाजपा विधायक यतनाल ने भी कहा था कि विजयेंद्र ने कई हजार करोड़ रुपये लूटे हैं।
उन्होंने अशोक पर भी निशाना साधते हुए कहा कि भूमि अनुदान समिति के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने बेंगलुरु के बीएम कवल में 2,200 एकड़ जमीन दे दी थी।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इन लोगों को अब जवाब देना होगा। मैंने कभी नफरत और प्रतिशोध की राजनीति नहीं की। अगर मैं ऐसा होता तो ऐसी स्थिति ही पैदा नहीं होती। वे जेल चले गए होते।’’
सिद्धरमैया ने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार, कुमारस्वामी, येदियुरप्पा, विजयेंद्र और अशोक उन्हें हटाने की साजिश में शामिल हैं।
उन्होंने एमयूडीए घोटाले के शिकायतकर्ता टी जे अब्राहम को ऐसा व्यक्ति बताया जिसकी कोई विश्वसनीयता नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यह अब्राहम कौन है? उच्चतम न्यायालय ने (उस पर पहले भी) 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। कर्नाटक प्रशासनिक सेवा (केएएस) अधिकारी डॉ. सुधा की शिकायत पर उसके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है, कि वह ब्लैकमेल कर रहा था।’’
अब्राहम के खिलाफ आरोप पत्र पांच अगस्त को दायर किया गया था, जबकि इससे 10 दिन पहले राज्यपाल ने सिद्धरमैया को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा था कि एमयूडीए घोटाले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति क्यों न दी जाए।
इस सभा के दौरान कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के प्रभारी महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला, कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष एवं उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार, कई मंत्री और विधायक शक्ति प्रदर्शन करते हुए सिद्धरमैया के समर्थन में खड़े नजर आए।
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