कोलकाता, 23 फरवरी पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) अशांत संदेशखालि में स्थिति को बिगाड़ने की कोशिश कर रही है और इलाके में शांति बहाल करने और स्थिति सामान्य करने की सभी कोशिशें नाकाम कर रही है।
पार्टी ने दावा किया कि पुलिस और प्रशासन प्रत्येक ग्रामीण तक पहुंचने और उनकी शिकायतों का समाधान करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
राज्य की वरिष्ठ मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि स्थिति पूरी तरह से प्रशासन के नियंत्रण में है और ग्रामीणों की प्रत्येक शिकायत दूर करने के लिए वह कड़ी मेहनत कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘ प्रशासन काम कर रहा है, बीडीओ और पुलिस अधिकारी अथक प्रयास कर रहे हैं। हर शिकायत की गहनता से जांच की जा रही है और तुरंत समाधान किया जा रहा है। लेकिन जब भी सामान्य स्थिति बहाल होने के संकेत मिलते हैं, सुकांत मजूमदार और लॉकेट चटर्जी जैसे भाजपा नेता स्थिति को बिगाड़ने के लिए पहुंच जाते हैं। भाजपा को संदेशखालि की महिलाओं की कोई चिंता नहीं है; उनका एकमात्र एजेंडा चुनावी लाभ के लिए अराजकता फैलाना प्रतीत होता है।’’
संवाददाता सम्मेलन में जब एक पत्रकार ने संदेशखालि की स्थिति की तुलना 2007-08 में तत्कालीन मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) शासन के दौरान सिंगूर और नंदीग्राम की घटना से की तो भट्टाचार्य और एक अन्य वरिष्ठ मंत्री शशि पांजा इसपर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘वह वाम दलों के कुशासन के खिलाफ जन विद्रोह था, जबकि विपक्ष संदेशखालि के कुछ हिस्सों में विरोध प्रदर्शन के नाम पर अराजकता और अशांति फैलाने की कोशिश कर रहा है। यहां कोई आंदोलन नहीं है। यदि भूमि पर कब्जा करने और शोषण की शिकायतों के कुछ मामले थे तो उनका पहले ही समाधान किया जा चुका है।’’
पांजा ने कहा, ‘‘भाजपा लोगों को भड़काने की कोशिश कर रही है और कानूनों का उल्लंघन कर रही है।’’
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी पर भारतीय पुलिस सेवा के एक सिख अधिकारी के खिलाफ ‘खालिस्तानी’ शब्द का इस्तेमाल करने के आरोप पर पांजा ने टिप्पणी की, ‘‘सिख समुदाय के एक सदस्य के अपमान पर पूरा भाजपा नेतृत्व, राज्य और केंद्र दोनों चुप हैं। अधिकारी इनकार की मुद्रा में हैं और उन्होंने उस घटना के बारे में अब तक कोई अफसोस नहीं जताया है जबकि इस घटना ने बंगाल के लोगों का सिर शर्म से झुका दिया है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘अधिकारी ही नहीं, उनकी पार्टी के सहयोगी भी लगातार मुख्यमंत्री को ‘रोहिंग्या’ बताते हैं, क्या यह अपमानजनक नहीं है।’’
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग और अन्य केंद्रीय आयोगों के दौरों के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘आयोग के सदस्य अपनी इच्छानुसार कहीं भी जा सकते हैं क्योंकि यह बंगाल है।’’
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