भाजपा गोवा में वास्तविक मुद्दों को नजरअंदाज कर रही है : शिवेसना
शिवसेना (Photo Credits: Twitter)

मुंबई, 29 सितंबर : गोवा में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) से पहले शिवसेना ने राज्य की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए बुधवार को कहा कि वह राज्य के वास्तविक मुद्दों को नजरअंदाज कर रही है, जहां कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण पर्यटन प्रभावित हुआ है और अर्थव्यवस्था का बुरा हाल है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के सम्पादकीय में आरोप लगाया कि गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने ‘‘सरकार आपके द्वार पर’’ पहल शुरू की है जिसके तहत वह ‘‘ झूठ और गलत जानकारी फैला रहे हैं.’’ सम्पादकीय में कहा गया कि राज्य बेरोजगारी, मादक पदार्थ की समस्या का सामना कर रहा है और कोविड-19 के कारण पर्यटन प्रभावित है तथा अर्थव्यवस्था चरमरा रही है. वहीं, उत्तरी गोवा जिले में कलंगुट बीच पर पिछले महीने संदिग्ध परिस्थितियों में एक महिला की मौत का मामला भी अभी तक सुलझा नहीं था.

मराठी समाचार पत्र में कहा गया कि भाजपा के नेता दिवंगत मनोहर पर्रिकर ने कैसीनो व्यवसाय का विरोध करके गोवा में पार्टी को बढ़ने में मदद की अब, अपतटीय कैसीनो राज्य सरकार को भारी रकम देते हैं और अगर गोवा इस पैसे पर चलेगा तो यह ‘‘ हिंदुत्व का अपमान ’’ होगा. सम्पादकीय में कहा गया, ‘‘ क्या गोवा के राजनेता राज्य के समक्ष पेश वास्तविक चुनौतियों से अवगत हैं?’’ अगर गोवा के लोग सोचते हैं कि भाजपा हिंदुओं की रक्षक है... तो यह गलत है. मराठी समाचार पत्र में कहा गया कि गोवा में भाजपा के विधायकों की सूची देखें तो, कोई भी कह सकता है कि हिंदूत्व उनके लिए केवल एक ‘‘मुखौटा’’ है. गो हत्या को प्रतिबंधित करने के लिए देश में कानून है लेकिन गोवा में कोई ‘‘जितना भी चाहे उतना गो मांस ले सकता है. अगर यह यह दोगलापन नहीं तो और क्या है?’’ यह भी पढ़ें : बिहार के 34 जिलों में पंचायत चुनाव का दूसरा चरण जारी

सम्पादकीय में कहा गया कि गोवा 450 वर्षों तक पुर्तगाली शासन के अधीन था और वर्तमान शासक उनके उत्तराधिकारियों की तरह व्यवहार कर रहे हैं. ‘‘ राज्य में जो हो रहा है क्या उसे कोई खत्म नहीं करना चाहता?’’ शिवसेना ने कहा कि 2017 गोवा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 17 सीटें (40 सदस्यीय सदन में) जीत कर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, लेकिन, उसने सरकार बनाने का दावा करने में देरी की और भाजपा ने बहुमत हासिल कर लिया. अब, कांग्रेस चार विधायकों तक सिमट गई है, और ‘‘यह नैतिक राजनीति नहीं है.’’ मराठी दैनिक समाचारपत्र में कहा गया कि अगर भाजपा ने अपने दम पर 20 से 25 सीटें जीती होतीं तो यह काबिले तारीफ होता. लोगों में राज्य सरकार के खिलाफ काफी गुस्सा है.