नयी दिल्ली, दो सितंबर उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को निर्देश दिया कि कथित तौर पर 3500 करोड़ रुपये के बाइक बोट घोटाले के सिलसिले में जेल में बंद व्यवसायी को जमानत पर रिहा किया जाए और उससे कहा कि राहत की ‘‘पूर्व शर्त’’ के तौर पर वह दस करोड़ रुपये जमा कराए।
उच्चतम न्यायालय ने गौर किया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस वर्ष जून में व्यवसायी दिनेश पांडेय को जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया था। उच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से पाया था कि उनका नाम न तो प्राथमिकी में है, न ही वह बाइक बोट योजना की शुरुआत करने वाली निजी कंपनी के निदेशक थे, न ही पदाधिकारी थे या प्रबंधक थे। इस योजना में लाखों निवेशकों से कथित तौर पर धोखाधड़ी की गई।
पांडेय के वकील ने कहा कि उन्हें रिहा नहीं किया गया है क्योंकि पुलिस ने नई प्राथमिकियां दर्ज की हैं जिनके बारे में उन्हें पहले नहीं बताया गया।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने पहले कहा था कि नोएडा में पंजीकृत एक कंपनी ने 2018 में बहुस्तरीय विपणन योजना ‘बाइक बोट’ की शुरुआत की थी और निवेशकों को एक वर्ष के अंदर दोगुना फायदा का वादा किया था।
न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर की पीठ ने राहत देते हुए कहा कि पांडेय उच्च न्यायालय की शर्तों का पालन करेंगे जिसने उन्हें जमानत दी थी।
पीठ ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की शर्तों के तहत हम याचिकाकर्ता को रिहा करने का निर्देश देते हैं और भविष्य में इस अदालत की पूर्व अनुमति के बाद ही आगे के मामले दर्ज किए जाएंगे। पीठ में न्यायमूर्ति हृषिकेश राय और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार भी शामिल थे।
पीठ ने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता उच्च न्यायालय की शर्तों का पालन करेंगे। इसके अतिरिक्त वह इस अदालत की रजिस्ट्री के पास दस करोड़ रुपये जमा करेंगे जो अगले आदेश तक किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में सावधि जमा के तौर पर रहेगा। अदालत ने कहा कि यह जमानत की पूर्व शर्त होगी।
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