प्रवासी मजदूरों की वापसी के लिए बिहार, बंगाल नहीं दे रहे पर्याप्त संख्या में ट्रेन चलाने संबंधी आवश्यक मंजूरी: गृह मंत्री अनिल देशमुख
उन्होंने बताया कि विशेष रेलगाड़ियों से अपने गृह राज्य जाने के लिए 20 लाख प्रवासियों ने महाराष्ट्र सरकार के समक्ष पंजीकरण कराया है और इनमें से अधिकतर बिहार तथा पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं।
मुंबई: महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने रविवार को आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल और बिहार प्रवासी मजदूरों की वापसी के लिए पर्याप्त संख्या में रेलगाड़ियां चलाने की आवश्यक मंजूरी नहीं दे दे रहे हैं और इन दोनों राज्यों की जवाब देने की गति ‘‘बहुत धीमी’’ है. उन्होंने बताया कि विशेष रेलगाड़ियों से अपने गृह राज्य जाने के लिए 20 लाख प्रवासियों ने महाराष्ट्र सरकार के समक्ष पंजीकरण कराया है और इनमें से अधिकतर बिहार तथा पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं. देशमुख का यह बयान रेल मंत्री पीयूष गोयल के दावे के करीब है जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल सहित विपक्षी पार्टियों द्वारा शासित कुछ राज्य अन्य राज्यों में फंसे प्रवासियों को वापस लाने के लिए रेलगाड़ियां चलाने की अनुमति देने के प्रति अनिच्छा जता रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘ गृह विभाग में 20 लाख लोगों ने अपने गृह प्रदेश लौटने के लिए पंजीकरण कराया है.इनमें से अधिकतर बिहार और पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं.देशमुख ने पत्रकारों से कहा, ‘‘समस्या यह है कि पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्य रेलगाड़ियों को चलाने के लिए जरूरी मंजूरी नहीं दे रहे हैं।’’गृहमंत्री ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष शरद पवार पहले ही बिहार और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों से बात कर चुके हैं लेकिन उनकी प्रतिक्रिया बहुत धीमी है. यह भी पढ़े: प्रवासी मजदूर परिवारों को मुफ्त राशन देने को गोदामों से अनाज शीघ्र उठाएं राज्य सरकारे: पासवान
राकांपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि महाराष्ट्र से ही प्रवासी मजदूरों को उनके गृह प्रदेशों को भेजने के लिए करीब 800 रेलगाड़ियों की जरूरत है।उन्होंने कहा, ‘‘ अगर सभी प्रवासी मजदूरों को वापस भेजा जाता है तो हमें 1,000 से अधिक रेलगाड़ियों की जरूरत होगी।’’देशमुख ने कहा, ‘‘प्रवासियों द्वारा वापस जाने के लिए कराए जा रहे पंजीकरण की दर को देखते हुए रोजाना सभी प्रमुख स्टेशनों से 50 रेलगाड़ियों को चलाने की जरूरत है कम से कम दस रेलगाड़ियां रोजाना बिहार और पश्चिम बंगाल के लिए चलानी होंगी.
उन्होंने कहा कि हालांकि, पश्चिम बंगाल और बिहार सरकार, महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रस्तावित संख्या के अनुरूप रेलगाड़ियां चलाने की अनुमति नहीं दे रही हैं. देशमुख ने कहा, ‘‘जब हमने पश्चिम बंगाल और बिहार सरकार को सूचित किया कि 25-25 रेलगाड़ियों के यात्रियों के बराबर प्रवासी मजूदरों ने पंजीकरण करा लिया है तो हमें केवल दो या एक रेलगाड़ी ही चलाने की अनुमति मिली. प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा को देखकर दुख होता है. ’’उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र का गृह विभाग विभिन्न सरकारों के संपर्क में है ताकि प्रवासी मजदूरों की वापसी के लिए विशेष रेलगाड़ियां चलाने की अनुमति मिल सके।देशमुख ने कहा कि राज्य सरकार रेल किराए में अपने अंश का भुगतान कर रही है और यात्रा के लिए प्रवासी मजदूरों को भोजन-पानी मुहैया करा रही है.
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