प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने केन्द्र से कहा कि गणतंत्र दिवस से पहले निर्णय लीजिये। यह अच्छी तारीख है।
पीठ ने कहा, ‘‘हम आपको दो से तीन सप्ताह का समय देंगे। आप सारी प्रक्रिया 26 जनवरी से पहले पूरी करें। 26 जनवरी अच्छा दिन है। यह बहुत ही उत्तम होगा अगर आप इससे पहले निर्णय लेते हैं।’’
शीर्ष अदालत राजोआना की मौत की सजा इस आधार पर उम्र कैद में तब्दील करने के लिये याचिका पर सुनवाई कर रही थी कि वह 25 साल से जेल में है।
पंजाब के सिविल सचिवालय के बाहर 31 अगस्त 1995 को हुये बम विस्फोट में संलिप्तता के अपराध में पंजाब पुलिस के सिपाही राजोआना को दोषी पाया गया था। इस विस्फोट मे तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और 16 व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी थी।
राजोआना की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ के समक्ष दलील दी कि उनके मुवक्किल की क्षमा याचिका 2012 से लंबित है।
उन्होने कहा कि शीर्ष अदालत ने अपनी व्यवस्था में कहा है कि अगर दया यचिका के निबटारे में आठ साल से ज्यादा का विलंब होता है तो इसे माफ किया जायेगा। उन्होंने कहा कि राजोआना 25 साल से जेल में है।
केन्द्र की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल के एम नटराज ने न्यायालय को भरोसा दिलाया कि इस मामले में उस तारीख तक निर्णय ले लिया जायेगा और संबंधित फाइल राष्ट्रपति के पास भेज दी जायेगी।
नटराज ने कहा, ‘‘सक्षम प्राधिकारी इस मामले पर गौर कर रहे हैं। हम उस समय तक इसे करने का प्रयास करेंगे।’’
न्यायालय ने पिछले साल चार दिसंबर को बेअंत सिंह हत्याकांड में बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा माफ करने का प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेजने में विलंब पर केन्द्र सरकार से जवाब मांगा था। न्यायालय ने कहा था कि वह बताए कि संबंधित प्राधिकारी संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति को इस संबंध में कब प्रस्ताव भेजेंगे।
संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति को कतिपय मामलों में माफी देने, सजा निलंबित करने या इसे कम करने का अधिकार प्राप्त है।
शीर्ष अदालत ने इस तथ्य का संज्ञान लिया था कि गृह मंत्रालय ने सात सितंबर, 2019 को पंजाब के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखकर सूचित किया था कि राजोआना की मौत की सजा माफ करने का प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेजा जायेगा।
अनूप
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