लखनऊ, छह मई इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने उन्नाव में एक महिला को आग लगाकर मारने के मामले में जेल में बंद तीन आरोपियों की जमानत याचिका मंजूर कर ली है।
अदालत ने मौत से पहले दिए गए महिला के बयान पर विश्वास नहीं किया, क्योंकि उसमें कई खामियां पाई गईं।
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने आदेश पारित करते हुए कहा, "यह सच है कि उक्त घटना को मीडिया में काफी सुर्खियां मिलीं और शिकायतकर्ता तथा उसके परिवार को सरकार से पर्याप्त वित्तीय सहायता मिली। यदि किसी आरोपी ने कोई अपराध किया है, तो उसे कानून के प्रावधानों के तहत पर्याप्त रूप से दंडित किया जाना चाहिए, मगर केवल इसलिए कि कोई मामला मीडिया में प्रचारित हुआ, किसी व्यक्ति को तब तक कुसूरवार नहीं ठहराना चाहिए जब तक वह वास्तव में दोषी साबित न हो जाए।"
पीठ ने यह आदेश आरोपी उमेश कुमार बाजपेयी, राम किशोर त्रिवेदी और हरि शंकर त्रिवेदी उर्फ चुन्नू द्वारा व्यक्तिगत रूप से दायर तीन अलग-अलग जमानत याचिकाओं पर पारित किया।
गौरतलब है कि उन्नाव के बिहार थाने में एक महिला ने शिवम और शुभम नामक व्यक्तियों के खिलाफ बलात्कार का मुकदमा दर्ज किया था। यह मुकदमा रायबरेली में विचाराधीन था। आरोप है कि महिला पांच दिसंबर 2019 को जब रायबरेली जाने के लिए ट्रेन पकड़ने सुबह चार बजे अपने घर से निकल रही थी तभी तीनों आरोपियों ने अपने रिश्तेदारों शिवम और शुभम की मदद से उसे आग के हवाले कर दिया था। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी थी।
सुनवाई के दौरान पीठ ने पाया कि इस मामले में आरोप पत्र तक दाखिल नहीं किया गया था और न ही उस पर सुनवाई शुरू करने की बात कही गई थी। साथ ही आरोप लगाने वाली महिला जिस रेलगाड़ी को पकड़ने के लिए घर से निकलने की बात कह रही थी, उसका संचालन तीन दिसंबर से ही रद्द कर दिया गया था।
पीठ ने पाया कि पीड़िता ने कहा था कि उसके सिर और गर्दन पर 'डंडे' और चाकू से भी हमला किया गया था, लेकिन पोस्टमॉर्टम के दौरान ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला।
मामले पर विस्तार से विचार करते हुए पीठ ने कहा कि यह जमानत के लिए उपयुक्त मामला है।
गौरतलब है कि बिहार थानाक्षेत्र के एक गांव में एक महिला कथित रूप से अपने साथ हुए बलात्कार के मामले में पैरवी के लिए पांच दिसम्बर 2019 को रायबरेली जा रही थी। आरोप है कि सुबह करीब चार बजे गांव के बाहर बलात्कार के दोनों आरोपियों व उनके तीन साथियों ने उसके ऊपर मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगा दी। डॉक्टरों ने करीब 90 फीसद तक जल चुकी पीड़िता को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर कर दिया था। उसे एयरलिफ्ट करके सफदरजंग अस्पताल लाया गया था, जहां दो दिन बाद इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी थी।
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