Badlapur Sexual Harassment: बदलापुर यौन उत्पीड़न के आरोपी ने पुलिस पर चलाई गोली, जवाबी गोलीबारी में हुई मौत- अधिकारी
प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo: X)

मुंबई, 23 सितंबर : महाराष्ट्र में बदलापुर कस्बे के एक स्कूल में दो बच्चियों का यौन उत्पीड़न करने के आरोपी व्यक्ति की पुलिस की जवाबी गोलीबारी में मौत हो गई. एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी. अधिकारी ने बताया कि स्कूल में सफाईकर्मी के रूप में काम करने वाले अक्षय शिंदे को उसकी पूर्व पत्नी द्वारा दर्ज कराए गए एक अन्य मामले की जांच के सिलसिले में सोमवार को जब तलोजा जेल से बदलापुर ले जाया जा रहा था तभी उसने पुलिसकर्मियों में से एक की रिवॉल्वर छीन ली और गोली चला दी. इसके जवाब में पुलिस ने भी गोलीबारी की. उन्होंने बताया कि घटना के बाद, उसे कालवा स्थित एक अस्पताल ले जाया गया, जहां चोटों के चलते उसने दम तोड़ दिया. विपक्षी दलों द्वारा घटना पर आश्चर्य जताये जाने और इसकी व्यापक व न्यायिक जांच की मांग के बीच, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि पुलिस ने आरोपी को आत्मरक्षा में गोली मारी.

अधिकारी ने बताया कि आरोपी की गोलीबारी में एक सहायक पुलिस निरीक्षक (एएसआई) घायल हो गया, जिसका अस्पताल में इलाज किया जा रहा है.

ठाणे पुलिस ने एक बयान में कहा, “ पुलिस टीम ने शाम 5:30 बजे उसे अपनी हिरासत में लिया. वापसी में पुलिस की गाड़ी शाम 6 से 6:15 बजे के बीच मुंब्रा बाईपास पर थी, तभी आशके अन्ना शिंदे (24) ने एपीआई नीलेश मोरे की सर्विस रिवॉल्वर छीन ली और पुलिस दल पर तीन गोलियां चला दी. एक गोली मोरे के पैर में लगी. दो अन्य गोलियां इधर उधर चली गईं.” पुलिस ने कहा, “ आत्मरक्षा में पुलिस दल के एक अन्य अधिकारी ने आरोपी पर एक गोली चलाई, जिससे वह घायल हो गया. एपीआई मोरे और शिंदे को कलवा सिविक अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मोरे को जुपिटर अस्पताल रेफर कर दिया. कलवा सिविक अस्पताल के डॉक्टरों ने शिंदे को मृत घोषित कर दिया. उसके शव को पोस्टमार्टम के लिए मुंबई के जेजे अस्पताल भेजा जाएगा.” वहीं, आरोपी अक्षय शिंदे की मां और चाचा ने इस घटना को “मुठभेड़” करार दिया और न्याय की मांग की. इस बीच, पीड़ित बच्चियों के वकील ने इसे न्याय की हत्या बताया है. यह भी पढ़ें : Datia Gang Rape: मध्यप्रदेश के सतना, जबलपुर, रीवा, दतिया में सामूहिक बलात्कार के 4 मामले दर्ज

पिछले महीने, ठाणे जिले के एक स्कूल के शौचालय में शिंदे द्वारा दो बच्चियों का कथित यौन उत्पीड़न किए जाने के बाद सड़कों और स्थानीय रेलवे स्टेशन पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे. स्कूल ने एक अगस्त को अपने शौचालयों की सफाई के लिए अक्षय शिंदे (23) को अनुबंध के आधार पर नियुक्त किया था. स्कूल के शौचालय में, 12 अगस्त को दोनों बच्चियों के साथ कथित तौर यौन उत्पीड़न किया गया था. आरोपी को 17 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था. बंबई उच्च न्यायालय ने तीन सितंबर को पुलिस से कहा था कि वह एक ‘‘मजबूत’’ मामला बनाए और जनता के दबाव में जल्दबाजी में आरोप पत्र दाखिल न करे. विपक्षी दलों ने इस घटना की निंदा की है, जिन्होंने घटनाक्रम पर सवाल उठाए हैं और यह भी पूछा है कि क्या यह उस मामले में सबूत नष्ट करने का प्रयास है, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर आक्रोश पैदा किया था. कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने दावा किया कि यह मुठभेड़ कुछ अन्य लोगों को बचाने के लिए की गई. राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा, ‘‘यह चौंकाने वाला है. इस घटना की न्यायिक जांच होनी चाहिए.’’ वडेट्टीवार ने कहा, ‘‘क्या यह सबूत नष्ट करने का प्रयास है? उसने रिवॉल्वर कैसे छीन ली और पुलिस इतनी लापरवाह कैसे थी? हम इस मामले की न्यायिक जांच की मांग करते हैं.’’

महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने आश्चर्य जताया कि क्या यह मुठभेड़ स्कूल के न्यासियों को बचाने के लिए की गई, जिन्हें अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है. अक्षय शिंदे (आरोपी) के चाचा ने एक मराठी टीवी चैनल को बताया कि उन्होंने सोमवार को तलोजा जेल में उससे मुलाकात की और उन्हें बताया गया कि पुलिस नियमित रूप से उसकी पिटाई कर रही है. वहीं, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि पुलिस ने आरोपी अक्षय शिंदे को आत्मरक्षा में गोली मारी. मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अक्षय शिंदे की पूर्व पत्नी ने उस पर यौन हिंसा का आरोप लगाया था और पुलिस उसे इन आरोपों के सिलसिले में जांच के लिए ले जा रही थी. उसने एक पुलिसकर्मी की बंदूक छीन ली और गोली चला दी. पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलाई.’’ शिवसेना (यूबीटी) की प्रवक्ता सुषमा अंधारे ने इस घटना की तुलना 2019 में तेलंगाना में, बलात्कार के चार आरोपियों की गोली मारकर हत्या किये जाने से की.

उन्होंने कहा, ‘‘वहां भी पुलिस ने दावा किया कि यह आत्मरक्षा में किया गया था. हालांकि, मौतों के कारण सच्चाई कभी सामने नहीं आ सकी. बदलापुर यौन उत्पीड़न के मामले में भी यही होगा. क्या अक्षय शिंदे की हत्या इसलिए की गई कि वह कुछ और भयावह बात छिपा रहा था? स्कूल प्रबंधन अभी भी क्यों फरार है.’’ अंधारे ने सवाल किया कि आखिर अक्षय शिंदे हथकड़ी लगे होने के बावजूद रिवॉल्वर छीनने में कैसे कामयाब हो गया और वह इसे चलाना कैसे जानता था. उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, जिनके पास गृह विभाग भी है, को इन सवालों का जवाब देना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘यह राज्य के गृह मंत्री द्वारा गंभीर मामलों को संभालने में उनकी अक्षमता को दर्शाता है.’’

मुख्यमंत्री शिंदे ने इस पर पलटवार करते हुए कहा, ‘‘पहले विपक्षी दलों ने मांग की थी कि अक्षय शिंदे को फांसी दी जाए. अब वे उसका पक्ष ले रहे हैं और महाराष्ट्र पुलिस की ईमानदारी पर सवाल उठा रहे हैं. विपक्षी नेताओं का ऐसा कृत्य निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण है.’’ विपक्ष के इस आरोप के बारे में पूछे जाने पर कि आरोपी को राजनीतिक सहानुभूति हासिल करने के लिए मारा गया, मुख्यमंत्री ने कहा कि ये दल उनकी सरकार की मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना की सफलता से घबरा गए हैं. मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इसलिए ये पार्टियां इस तरह के असंवेदनशील आरोप लगा रही हैं.’’ फडणवीस ने कहा कि पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलाई, जिससे अक्षय शिंदे की मौत हो गई. उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस उसे उसकी पूर्व पत्नी द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए बदलापुर ले जा रही थी. राकांपा (एसपी) प्रमुख शरद पवार ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘आरोपी को कानूनी प्रावधानों के अनुसार फांसी दी जानी चाहिए थी, लेकिन उसे (तलोजा जेल से) स्थानांतरित करते समय गृह विभाग की कार्रवाई संदिग्ध है.’’

उन्होंने घटना की गहन जांच की मांग की.

हालिया लोकसभा चुनाव भाजपा के टिकट पर लड़ने वाले वकील उज्ज्वल निकम ने कहा, ‘‘शिंदे के खिलाफ दो आरोपपत्र दाखिल किए गए थे और मैं दोनों मामलों में सरकारी वकील था. प्रस्तुत दस्तावेजों के अनुसार, शिंदे के खिलाफ पर्याप्त सबूत थे. शायद इसी वजह से शिंदे ने अपनी जान लेने की कोशिश की. हम इस संभावना से इनकार नहीं कर सकते. न्यायिक जांच से इस मामले में सच्चाई सामने आएगी.’’ निकम लोकसभा चुनाव में हार गए थे. निकम ने कहा, ‘‘दोनों बच्चियों ने पहले ही अक्षय शिंदे की पहचान कर ली थी और महाराष्ट्र पुलिस ने उसके खिलाफ अन्य सबूत भी जुटा लिए थे.’’ निकम ने कहा कि अभी निष्कर्ष पर पहुंचना उचित नहीं होगा. अस्पताल के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए अक्षय शिंदे के परिजनों ने आरोप लगाया कि यह पुलिस और बदलापुर स्कूल के प्रबंधन की साजिश है. अक्षय शिंदे की मां और चाचा ने पुलिस के बयान पर सवाल उठाए और कहा कि वह पुलिसकर्मी का हथियार नहीं छीन सकता था. उन्होंने कहा कि वह अवसाद में नहीं था.

परिजनों ने आरोप लगाया, “पुलिस ने हमारे बच्चे को मार डाला है. स्कूल प्रबंधन की भी जांच होनी चाहिए. पुलिस ने उससे कुछ लिखवाया था, लेकिन हमें नहीं पता कि वह क्या है.” मामले में पीड़ित बच्चियों के वकील असीम सरोदे ने कहा कि इस तरह से अक्षय शिंदे का मारा जाना ”न्याय की हत्या” है. उन्होंने दावा किया, “अब दो नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न का मामला दब हो जाएगा. इन दो नाबालिग लड़कियों का मामला शैक्षणिक संस्थान के लिए मुश्किल पैदा कर रहा था, क्योंकि यह एक खास राजनीतिक परिवार से जुड़ा हुआ है. इस तरह के चलन से लोगों का पुलिस और न्यायपालिका पर भरोसा कम होगा.”